राम वन गए तो राम बन गए, राम राजा रहते तो शायद राम राम ही रहते

हजारों वर्षों पूर्व त्रेता युग में इस धरती पर आकर प्रभु राम ने वह सब संदेश मानव जाति को दे दिया था जिसे आज हम किताबों में पढ़ते हैं। प्रभु राम ने राम रहते हुए गुरु का सम्मान करना सिखाया । प्रभु राम ने भील समुदाय से संबंध रखने वाली शबरी के जूठे बेर खाकर छोटे बड़े का भेद मिटाने का संदेश दिया था तो साथ ही यह भी बता दिया कि सच्चे मन से इंतजार करो तो भगवान स्वयं भक्तों को ढूंढते हुए उनके घर तक पहुंच जाते हैं। जिस केकई से उनके बेटे सहित पूरी अयोध्या उनसे नफरत करने लगी थी उनके पक्ष में यह कहकर कि धन्य है वह एक लाल की माई जिसने जना भरत का भाई कहकर नारी जाति का सम्मान करना सिखाया। राम ने ही सिखाया की पिता की आज्ञा का पालन करते वक्त नफा नुकसान नहीं देखा जाता. वो राम ही है जिन्होंने बरसों पहले अयोध्या का राज सिंहासन संभालने के बाद राजनीति और रावण को पराजित करने के लिए कूटनीति और रणनीति कैसे की जाती है वह बताया । वह राम ही हैं जिन्होंने उनके अनन्य भक्त श्री हनुमान जटायु और सुग्रीव को गले लगा कर तमाम वानर जाति को पूजनीय बना दिया। मित्रता कैसे की जाती है यह भी राम ने सिखाया मर्यादा में कैसे रहा जाता है यह भी प्रभु राम ने बताया। रावण का वध करने के उपरांत मंदोदरी के आगे हाथ जोड़कर और सिर झुका कर खड़े श्रीराम नहीं बताया कि यदि परिवार में किसी एक ने गलती की है या कोई एक गुनाहगार है तो पूरा परिवार गुनहगार नहीं हो जाता। , प्रभु राम को पढ़ो और जानो, तो समझ आता है कि राम अपने आप में 1 स्कूल हैं एक कॉलेज हैं विश्वविद्यालय हैं जिसमें वह सब कुछ है जो एक शिष्य और इंसान को समझना और जानना जरूरी है।
रामकेवल राजा रहते तो शायद राम-राम ही रहते. राम वन गए तो राम बन गए.

बोलो जय श्री राम????????????????

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Author: Khabar Logy

Himachal Pradesh

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