‘प्यार की है दुनिया दूर आसमां पे
मिलके न बिछड़े कोई वहां पे
ऐसी भी एक डगर है, ऐसा भी एक नगर है
आओ तुम्हें चांद पे ले जाएं
प्यार भरे सपने सजाएं, छोटा सा बंगला
एक नई दुनिया बसाएं..
1975 में आई हिंदी फिल्म ‘जख्मी Ó में लोकप्रिय गायिका रहीं लता मंगेश्कर और बॉलीवुड की पाश्र्व गायिका सुषमा श्रेष्ठा द्वारा सुरों में पिरोया यह गीत आज एक बार फिर से सबकी जुबां और ज़हन में आ गया जब एक पिता ने अपनी बेटी को उसके जन्मदिन के अवसर पर बेटी को चांद पर जमीन तोहफे में देने का फैसला किया। हमीरपुर शहर के वार्ड नंबर आठ के निवासी एडवोकेट अमित शर्मा ने यह साबित कर दिया है कि बेटी अनमोल है। आपके पास चाहे दौलत कम है या ज्यादा यह मायने नहीं रखता मायने यह रखता है कि आप उसके लिए ऐसा क्या कर रहे हैं जो सच में उसे अनमोल बना रहा है। वो तोहफा जो उसे ताउम्र याद रहे।
एडवोकेट अमित ने अपनी बिटिया को उसके 18वें जन्मदिवस के मौके पर चांद पर जमीन तोहफे में देने का निर्णय लिया है। इसके लिए उन्होंने चांद पर आठ कनाल जमीन खरीदी है। अमित शर्मा की बेटी तनीशा शर्मा का आठ अगस्त यानि आज 18वां जन्मदिवस है। आपको बता दें कि अमित शर्मा इससे पूर्व अपनी छोटी बेटी के जन्मदिवस पर एक साल पहले अंगदान करने का निर्णय भी ले चुके है। अंगदान के लिए लोगों कों प्रोत्साहित करने के लिए उन्होंने यह निर्णय लिया था। बेटी के कुछ अलग करने की चाह में उन्होंने चांद पर आठ कनाल जमीन खरीदी है। खरीदी गई जमीन के दस्तावेज भी लॉस एंजल्स की इंटरनेशनल लुनर लैंड अथॉरिटी की तरफ से अमित शर्मा को भेज दिए गए हैं। एडवोकेट अमित की मानें के अनुसार जमीन कोई ज्यादा महंगी नहीं हैं लेकिन इसको खरीदने के प्रोसेस में ज्यादा समय लग जाता है। तनीशा शर्मा जमा दो की पढ़ाई के बाद चंडीगढ़ में कोचिंग ले रही हैं। तनीशा के 18वें जन्मदिन पर पिता ने अनूठा तोहफा दिया है। बेटी तनीशा भी अपने 18वें जन्मदिवस पर पिता से यह गिफ्ट पाकर बेहद खुश है।
प्रदेश में चांद पर जमीन लेने का तीसरा मामला
बताते चलें कि चांद पर जमीन खरीदकर तोहफे में देने का यह तीसरा मामला है। प्रदेश में सबसे पहले जिला ऊना के एक व्यवसायी ने भी चांद पर जमीन खरीदी थी। उनके बाद जिला कांगड़ा के शाहपुर स्थित 39 मील के निवासी हरीश महाजन ने भी अपने पत्नी पूजा सूद को बर्थडे पर चांद पर जमीन खरीदकर तोहफा दिया था। अब इस फेहरिस्त में हमीरपुर जिला के एडवोकेट का नाम भी जुड़ गया है।
ताकि बेटी इस तोहफे को हमेशा याद रखे
एडवोकेट अमित शर्मा के अनुसार वे बेटी के लिए कुछ अलग करना चाहते थे। इसी अलग करने की चाहत से उन्होंने चांद पर जमीन खरीदने का निर्णय लिया। इस निर्णय को लेने के पीछे उनका लक्ष्य यही था कि उनकी बेटी उनके तोहफे को हमेशा याद रखे। साथ ही वो धरती पर बैठकर चांद की देखकर कह सके कि उसकी जमीन चांद पर भी है जो उसके पिता ने उसे तब गिफ्ट की थी जब वो बालिग हुई थी। अमित का कहना है कि पिछले साल उन्होंने छोटी बेटी के जन्मदिन पर उन्होंने अपने शरीर के आठ अंग दान करने का निर्णय लिया था।
Author: Khabar Logy
Himachal Pradesh