ब्यास नदी का क्रोध इस बार नहीं हो रहा शांत, फिर से रौद्र रूप में बिपाशा

जिला ब्यूरो . हमीरपुर

हिमाचल प्रदेश के रोहतांग पास से लगभग 14 हजार फीट की ऊंचाई से बहने वाली पवित्र व्यास नदी मानव द्वारा प्रकृति से किया जा रहे खिलवाड़ को देखते हुए इस बार काफी रौद्र रूप लिए हुए हैं । इस बरसात में अब तक इस नदी की तेज बहती धाराएं करोड़ों का नुकसान कर चुकी है। व्यास का रूप इस बार कुछ ऐसा है कि इसके आसपास की सड़कों को भी व्यास के किनारे छू रहे हैं । शनिवार रात से हो रही तेज बारिश के कारण रविवार को व्यास एक बार फिर से अपने रौद्र रूप में नजर आई। प्रकृति का गुस्सा भी जायज है क्योंकि जिस तरह से मानव चंद पैसों और अधिक सुख सुविधाओं के लिए प्रकृति का दोहन कर रहा है तो आखिर यह पवित्र नदियां कब तक खामोश बैठेंगी. विदित रहे कि पिछले दिनों मां हिडिंबा ने कुल्लू से भी मानव जाति को चेताया है कि सुधर जाओ वरना ब्यास के जल धारों को अपने चरणों तक लेकर आ जाऊंगी।  बता दें कि ब्यास नदी का प्राचीन नाम अर्जिकिया या विपाशा था, जिसका अर्थ होता है असीमित। यूं कह सकते हैं कि अब यह पवित्र नदी मानव के व्यवहार को देखते हुए अपनी सीमाओं को पार कर आगे बढ़ने लगी है।

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Author: Khabar Logy

Himachal Pradesh

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