आने वाले दिनों में और सताएगी महंगाई, वित्त मंत्रालय ने आरबीआई और सरकार को किया आगाह

एजेंसी . नई दिल्ली

वित्त मंत्रालय ने चेतावनी देते हुए कहा कि आने वाले महीनों में महंगाई का दबाव बना रह सकता है। ऐसे में केंद्र सरकार और आरबीआई को इसे लेकर बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने 22 अगस्त, 2023 को जुलाई महीने के लिए मंथली इकोनॉमिक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें ये बातें कही गई है। इस रिपोर्ट में अगस्त महीने में मानसून बारिश में कमी को लेकर भी चिंता जाहिर की गई है। वित्त मंत्रालय के इकोनॉमिक डिविजन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि घरेलू खपत, निवेश में तेजी के चलते आर्थिक विकास की गति बनी रहेगी, लेकिन वैश्विक और क्षेत्रीय अस्थिरता के साथ घरेलू स्तर पर सप्लाई में दिक्कतों के चलते महंगाई का दबाव बना रहेगा। रिपोर्ट में इसके मद्देनजर सरकार और आरबीआई को बेहद चौकन्ना रहने को कहा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक अस्थिरता के बावजूद निजी क्षेत्र की मजबूत बैलेंसशीट, कैपिटल एक्सपेंडिचर पर सरकार का जोर और बढ़ते निजी निवेश के चलते घरेलू आर्थिक गतिविधि में तेजी बनी हुई है, लेकिन वैश्विक व्यवधान के साथ ही घरेलू कारणों के चलते महंगाई बढऩे का खतरा है, जो देश के मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता के सामने चुनौती पैदा कर सकता है।

सब्जियों की कीमतों में सुधार की उम्मीद 
वहीं, रिजर्व बैंक की ब्याज दर निर्धारण समिति ने इस महीने की शुरुआत में नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया था। एमपीसी ने यह सुनिश्चित करने के लिए समायोजन को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित किया था कि मुद्रास्फीति विकास का समर्थन करते हुए लक्ष्य के साथ उत्तरोत्तर संरेखित हो। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आने वाले महीनों में सब्जियों की कीमतों में सुधार की उम्मीद जताई है, लेकिन अचानक मौसम की घटनाओं अगस्त और उसके बाद नीनो की स्थिति और वैश्विक खाद्य कीमतों में मजबूती के कारण घरेलू खाद्य मूल्य दृष्टिकोण पर अनिश्चितताओं की उपस्थिति को चिह्नित किया। इस संदर्भ में एमपीसी ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.1 प्रतिशत से संशोधित कर 5.4 प्रतिशत कर दिया। इस साल के दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के दौरान 18 अगस्त, 2023 तक संचयी वर्षा लंबी अवधि के औसत की तुलना में लगभग छह प्रतिशत कम रही है। 18 अगस्त, 2023 तक, किसानों ने 102.3 मिलियन हेक्टेयर में बुआई की है, जो पिछले साल की इसी अवधि के स्तर के समान है और पिछले पांच सालों के औसत से 1.1 प्रतिशत अधिक है।

Khabar Logy
Author: Khabar Logy

Himachal Pradesh

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