एग्रीकल्चर डेस्क
जंगली कीट व पशु-पक्षी अकसर किसानों को फसलों को नुकसान पहुंचाकर उन्हें तबाह कर देते हैं। मजबूरी में किसानों को अपनी फसल का बचाव करने के लिए जहरीले कीटनाशकों का प्रयोग करना पड़ता है, लेकिन जिला हमीरपुर के किसानों ने इस बार मक्की की तैयार हो रही फसल को बचाने के लिए एक नायाब टोटका निकाला है। इसमें न तो कीटनाशक और न ही जहरीली दवा का प्रयोग हो रहा है, बल्कि किसानों ने घर पर पड़े पुराने बेकार कपड़ों की कतरन को इक_ी करके उसे मक्की के उस छोर पर बांध दिया है। जहां से मक्की का छिल्लका निकलता है। इसका फायदा यह हो रहा है कि पक्षी उस छिलके को उतार नहीं पा रहे, जिससे किसानों की मक्की फसल को पक्षी नुकसान नहीं पहुंचा पा रहे हैं। क्योंकि हमीरपुर जिला में मक्की की फसल पककर तैयार हो चुकी है। खेतों में खड़ी मक्की की फसल पर पक्षी काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। दिन के समय पक्षियों के झुंड मक्की के पौधों पर बैठकर मक्की के भुट्टे को खाने लगे रहते हैं। इसकी वजह से किसानों के मक्की के खेत तक खराब हो रहे हैं। पक्षियों से निजात पाने के लिए किसानों ने घरों में बेकार पड़ी कपड़ों की कतरन को मक्की के भुट्टों पर बांध दिया है, ताकि पक्षी भुट्टे को आसानी से खोल न सकें। किसानों का प्रयोग सफल होता नजर आ रहा है। किसानों ने जिन खेतों में कपड़ों की करतन लपेट रखी है, उन खेतों में पक्षियों ने जाना छोड़ दिया है और दूसरे खेतों में मक्की की फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
किसानों के इस प्रयोग को कई गांवों में देखा जा रहा है, जहां किसानों के खेत कपड़ों की कतरन से बंधे नजर आ रहे हैं, जिससे किसानों ने भी राहत की सांस ली है। मक्की फसल पर कभी फाल आर्मी कीट का खतरा, तो कभी प्राकृतिक आपदा के नुकसान का खतरा। अगर यहां से भी मक्की फसल बच जाए, तो जंगली जानवरों का दिन व रात के समय आंतक, ऊपर से पक्षियों के नुकसान से मक्की की फसल और तबाह हो रही है। ऐसे में किसानों को मक्की फसल बचाना दिन-प्रतिदिन मुश्किल होता जा रहा है। यही कारण है कि हमीरपुर जिला में लोग हर वर्ष मक्की फसल की बजाए हरे चारे के बीज की बिजाई करने में ही ज्यादा रूचि दिखा रहे हैं।
Author: Khabar Logy
Himachal Pradesh
Post Views: 311