किसानों के बीज पर महंगाई की मार, बरसीम का बीज 20 रुपए और जौई का 12 रुपए किलो तक महंगा

– किसानों को बरसीम के 95 रुपए और जौई के चुकाने होंगे अब 35 रुपए दाम, लहुसन का बीज भी बीते वर्ष के मुकाबले  इस बार 62 रुपए तक हुआ महंगा

हमीरपुर. प्रदेश में महंगाई लोगों का पीछा छोडऩे का नाम नहीं ले रही है। सस्ते राशन की दुकानों में आए दिन महंगे हो रहे राशन ने जहां लोगों की मुश्किलें बढ़ाकर रखी हैं। वहीं अब महंगाई का असर किसानों के बीजों पर भी देखने को मिल रहा है। प्रदेश भर में किसानों को वितरित किया जा रहा जौई-बरसीम व लहुसन का बीज बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष और महंगा हो गया है। बरसीम का बीज जहां 20 रुपए किलो महंगा हुआ है, वहीं जौई के बीज के दाम भी 12 रुपए तक बढ़ा दिए गए हैं। इसके अलावा लहुसन का बीज भी 62 रुपए तक महंगा हो गया है। ऐसे में किसानों को इस बार बीज ब्लॉकों से महंगे दामों पर खरीदने पड़ रहे हैं।

बता दें कि कृषि विभाग में रवि सीजन में उगाए जाने वाले जौई-बरसीम व लहुसन के बीजों के दामों में इस बार काफी बढ़ौत्तरी हुई है। प्रदेश सरकार ने जौई और बरसीम के बीज की सबसिडी को जहां और कम कर दिया है। वहीं बीज के रेट कई ज्यादा बढ़ा दिए हैं, जिससे किसानों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। किसानों को इस बार बरसीम पर 50 रुपए और जौई पर 15 रुपए की सबसिडी मुहैया करवाई जा रही है, जोकि बीते वर्ष के मुकाबले बरसीम पर 15 रुपए और जौई पर चार रुपए सबसिडी जहां और कम कर दी है। वहीं जौई व बरसीम के रेट में जरूर बढ़ौतरी हुई है। प्रदेश के किसानों को ब्लॉकों, सेल सेंटरों और सोसायटियों में बरसीम का एक किलो बीज 95 रुपए किलो और जौई का 35 रुपए किलो के हिसाब से खरीदना पड़ेगा। विभाग को बरसीम का एक किलो बीज 145 रुपए और जौई का 50 रुपए किलो में पड़ रहा है। इसके अलावा लहुसन के बीज पर इस बार किसानों को 25 फीसदी सबसिडी मुहैया करवाई जा रही है। किसानों को लहुसन का एक किलो बीज 165 रुपए में मिल रहा है। जबकि बीते वर्ष लहुसन का एक किलो बीज 103 रुपए किलो में किसानों को बांटा गया था। ऐसे में लहुसन के दामों में इस बार 62 रुपए तक की बढ़ौतरी दर्ज की गई है। यही कारण है कि किसान भी लहुसन का बीज महंगा होने के चलते इसकी खरीददारी के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। ब्लॉकों को लहुसन का बीज बेचना मुश्किल हो गया है। रवि सीजन के बीजों में हर वर्ष हो रही बढ़ौत्तरी से किसान भी परेशान हो गए हैं। क्योंकि बीजों के दाम बढऩे से किसानों को खेतीबाड़ी का काम करना दिन-प्रतिदिन मुश्किल होता जा रहा है। किसानों की मानें तो कभी प्राकृतिक आपदा, तो कभी जंगली जानवरों के आंतक से उन्हें बीजों के पैसे व बिजाई का पैसा तक भी नसीब नहीं हो रहा है। यही कारण है कि किसान खेतीबाड़ी छोडऩे को मजबूर है।

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Author: Khabar Logy

Himachal Pradesh

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