हमीरपुर – ‘छलियां दी रोटी सरूआं दा साग जेड़ा खाए उस दे खुली जाण भागÓ की कहावत मक्की की रोटी व सरसों के साग पर बनी है। सर्दी की दस्तक के साथ ही इन दिनों में पालक, सरसों के हरे पत्तों का सीजन भी शुरू हो गया है। जगह-जगह लोकल लोग फड़ी लगाकर ताजा देसी पालक और सरसों बेच रहे हैं। दरअसल इस मौसम में पालक की डिमांड बड़ जाती है। लेकिन इस बार सबसे दिलचस्प बात यह है कि पालक और सरसों के पत्तों के साथ मक्की का आटा भी साथ में बिक रहा है। विक्रेताओं ने इस मौसम में यह नया एक्सपेरिमेंट किया है जोकि सफल भी हो रहा है। क्योंकि पालक और सरसों तो मिल जाती है लेकिन खासकर शहरी क्षेत्र में मक्की का आटा मुश्किल से मिलता है। अगर मिले भी तो उसकी गुणवत्ता पर संदेह रहता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों से आए ये लोग अपनी देसी मक्की का आटा पालक के साथ बेच रहे हैं जोकि खूब बिक रहा है। बाजार में हरी सब्जियों का सीजन भी जोरों पर है। धनिया, मेथी, पालक, सरसों के हरे-भरे पते की बिक्री जोरों पर है इन्हीं के साथ इनका जायका लेने को लेकर मक्की की रोटी का स्वाद और भी लाजवाब बना देता है। हरी सब्जियां जहां सेहत के लिए फायदेमंद है वहीं मक्की का आटा स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहतमंद माना जाता है। खास तौर पर सर्द मौसम में मक्की के रोटी का सेवन बहुत ही उपयोगी माना जाता है, जब साग के साथ मक्की की रोटी हो तो स्वाद अलग ही और स्वादिष्ट हो जाता है। चूल्हे में मक्की की रोटी व मिट्टी के बर्तन में बनाया साग के जायके का अलग ही मजा है।
Author: Khabar Logy
Himachal Pradesh