सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है। ठंड की दस्तक के साथ ही हमारे कपड़े-लत्ते से लेकर खान पान सब चीजों में एकाएक बदलाव होने लगा है. पहाड़ों में ठंड का असर कुछ ज्यादा ही रहता है. ऐसे में हर घर में चाय का चलन भी इस मौसम में एकाएक बढ़ जाता है. जो भी चाय बनाता है उसे खास तौर पर रिक्वेस्ट कहें या हिदायत दी जाती है कि थोड़ी इलायची जरुर डाल लेना. पंजाबी या पहाड़ी भाषा में इसे लाची कहकर पुकारा जाता है. Sunday Special में इस बार हिमाचल दस्तक के एडिटर हेमंत कुमार ने अपनी कलम से इस इलायची या यूं कहें कि लाची की पैदावार से लेकर इसकी खुशबू को शब्दों में पिरोने का जबरदस्त प्रयास किया है…
लाचियां दा बाग उजाड़ेया…
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केरल की एक खबर देख रहा था। इस बरसात में सूखे जैसी हालत है। सामान्य से 50 फीसदी कम बारिश हुई है। सीधा सा मतलब यह हुआ कि इलायची का उत्पादन प्रभावित होगा। हमारे देश में इलायची के कुल उत्पादन का 60 फीसदी केरल से ही आता है। सो असर हम सभी पर रहेगा। बताते हैं इलायची की पैदावार में 30 से 35 फीसदी की गिरावट आ सकती है। लब्बाेलुआब यह कि महंगी इलायती के लिए तैयार रहें। पिछली बार केरल में ज्यादा बारिश ने काम खराब किया था। अबके कम बारिश ने। पैदावार भी कम होगी और साइज भी कम रह जाएगा। संत कबीर कह भी गए हैं- अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।
वैसे ये इलायची बड़े कमाल की चीज है। मैनें पहली बार इसकी खेती देखी पिछले साल। केरल जाना हुआ था। इडुक्की जिले में स्थित भारतीय इलायची अनुसंधान संस्थान भी गए। इलायची की खेती को समझने की कोशिश की। वैज्ञानिकों के साथ बातचीत का लंबा सेशन चला। खूब फोटो सेशन भी हुआ। राज्य का एक बहुत बड़ा वर्ग इलायची की खेती पर ही निर्भर है।
उस दिन मेरे ज़ेहन में एक पंजाबी गीत गूंज रहा था जिसमें इलायची का जिक्र है। शिव कुमार बटालवी जी का लिखा और महान गायिका सुरिंदर कौर जी का गाया मशहूर गीत –
नी इक मेरी अख काशनी दूजा रात दे उनींदरे ने मारया
शीशे नूं तरेड़ पै गई, बाल वौंदी ने ध्याण जदो मारया
इक मेरी सस्स नीं बुरी, भैड़ी रोईं दे किकर तों काली,
गल्ले-कथ्थे वीर भुन्नदी,नित दवे मेरे माँ-पयां नू गाली,
नी केहड़ा उस चंदरी दा नी मैं “लाचियां” दा बाग उजाड़ेया
नी इक मेरी……
अब ये लाचियां दा बाग उजाड़ने की बात यूं ही तो नहीं आई होगी। वहां के प्रमुख वैज्ञानिकों से मैनें जानना चाहा था कि क्या पंजाब वाले इलाके में कभी इलायची की खेती रही होगी। मैनें गीत के बारे में भी बताया। उन्होंने साफ किया कि पंजाब का इलायची उत्पादन से कोई लेना देना नहीं रहा है। भविष्य में भी संभावना नहीं है। हां बटालवी को जानने और समझने वालों का कहना है कि उस जमाने में इलायची महंगी चीज होती थी। ऐसे में उन्होंने इलायची के बाग उजाड़ने का उदाहरण (तंज) बड़े नुकसान के तौर पर दिया होगा। खैर इलाययी उत्पादन में हमारे देश में केरल पहले नंबर पर है। लेकिन दुनिया में ग्वाटेमाला पहले नंबर पर काबिज है। उसके बाद इंडोनेशिया व भारत आते हैं।
Author: Khabar Logy
Himachal Pradesh