कलाई पर कलावा बांधिये और देखिए कैसे आपके जीवन में होते हैं बदलाव, हर रंग का है अपना महत्व

Benefits of raksha sutra KALAVA: आपने कई पूजा-अनुष्ठानों के बाद अक्सर श्रद्धालुओं को कलाई पर एक रंगीन सूत्र बांधे देखा होगा. जी हां वही सूत्र जिसे ‘कलावा’  (kalava) कहा जाता है. मंदिरों में भी दर्शन के बाद हाथ में कलावा (kalava) बांधने की परंपरा हमेशा से रही है. आजकल बहुत से लोग खासकर युवा फैशन के लिए भी कलाई पर विभिन्न रंगों के धागे बांध लेते हैं लेकिन यदि ग्रहों की चाल के अनुकूल के अलावा बांधा जाए तो यह आपके जीवन में कई तरह के सकारात्मक बदलाव ला सकता है . वैसे क्या आप जानते हैं कि ये कलावा आखिर है क्या और इसे बांधे जाने के पीछे क्या कारण हैं. चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कलावा क्यों बांधा जाता है और इसे बांधने के पीछे क्या मान्यता है.

 

सकारात्मक ऊर्जा के लिए बांधते हैं कलावा

चाहे घर में कोई पूजा या कथा का आयोजन हो या फिर किसी मंदिर में देव-दर्शन के लिए गये हों, किसी भी शुभ धार्मिक  कार्य के बाद हाथों में कलावा बांधने की परंपरा बेहद पुरानी है. ये कलावा रंगीन, लाल, पीला या किसी अन्य रंग का हो सकता है.  माना जाता है कि पूजा-अर्चना के बाद विधिवत बांधे गए कलावे में कई प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा या दैवीय शक्तियां होती हैं. हाथ में कलावा बांधने से ये सकारात्मक ऊर्जा  निगेटिव एनर्जी और बुरी नजर से हमारी रक्षा करती हैं. इसीलिए कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है. कई लोगों की मान्यता ये भी है कि अलग-अलग रंग के कलावा बांधने का संबंध अलग-अलग ग्रहों से होता है. मसलन पीले रंग का कलावा बांधने से बृहस्पति, लाल रंग से मंगल और काले कलावे से शनि ग्रह मजबूत होते हैं.

कलावा बांधते समय करें इस मंत्र का जाप

कलावा बांधते समय ॐयेन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः, तेन त्वां मनुबध्नामि, रक्षंमाचल माचल‘ मंत्र का जाप करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार पुराना कलावा को मंगलवार या शनिवार के दिन उतार सकते हैं. इसी दिन इसी समय नया कलावा भी धारण कर सकते हैं. अमावस्या तिथि को भी पुराना कलावा उतार कर नया कलावा बांध सकते हैं.

 पौराणिक कहानियां और वैज्ञानिक फायदे

कलावे  को लेकर कुछ पौराणिक कहानियां भी प्रचलित है. कहते हैं कि भगवान विष्णु के वामन अवतार में सामने आने के बाद राजा बलि ने उनसे अपने साथ पाताल लोक में रहने का अनुरोध किया और भगवान विष्णु पाताल में ही रहने लगे. तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथ में कलावा बांधकर उन्हें भाई बना लिया और उनसे भगवान विष्णु को वापस मांग लिया. वैसे पौराणिक कथाओं से हटकर कई लोगों का मानना है कि कलावा बांधने के वैज्ञानिक फायदे भी हैं. मनुष्य की कलाई में कई तरह की नसें होती है और कलावा बांधने से इन नसों पर नियंत्रण रहता है. इसके कारण ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, हृदय गति पर भी कंट्रोल रहता है. 

 

Khabar Logy
Author: Khabar Logy

Himachal Pradesh

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