फर्जी डिग्री मामला : शिक्षकों की डिग्रियां होंगी वेरिफाई, हर डिग्री की वेरिफिकेशन की खुद चुकानी होगी फीस

हमीरपुर. शिक्षा विभाग में वर्ष 2004-05 में पूर्व सैनिक कोटे से भर्ती हुए शिक्षकों की डिग्रियां फर्जी पाई जाने के मामले ने प्रदेश के हजारों शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दरअसल सरकार अब हर शिक्षक की दसवीं कक्षा से लेकर आगे तक की हर डिग्री की वेरिफिकेशन करवाने जा रही है। दिक्कत यह नहीं है कि शिक्षकों की डिग्रियां वेरिफाई करवाई जा रही हैं। दिक्कत यह है कि उन डिग्रियों को वेरिफाई करवाने की फीस भी शिक्षकों को स्वयं चुकानी होगी। यही नहीं हर यूनिवर्सिटी के लिए अलग-अलग फीस तय की गई है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से डिग्री लेने वालों के लिए एक हजार रुपए प्रति सर्टिफिकेट चार्जिज तय किए गए हैं। ऐसे में यदि किसी शिक्षक के पास दसवीं, जमा दो, स्नातक, स्नातकोत्तर, बीएड, एमएड जैसी 6 डिग्रियां होंगी तो उसे छह हजार फीस चुकानी पड़ेगी जिसके पास 8 सर्टिफिकेट होंगे उसे आठ हजार अपनी ही डिग्रियां वेरिफाई करवाने के चुकाने होंगे। इसके अलावा पंजाब यूनिवर्सिटी से डिग्री करने वालों को 370 रुपए, पंजाबी यूनिर्विटी वालों को 100 रुपए, पूणे यूनिवर्सिटी वालों को 150, विनायका मिशन यूनिवर्सिटी वाले अ यर्थियों को 1 हजार, यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर वालों को 300 रुपए, इग्नू (इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी) वालों को 100 रुपए जबकि यूनवर्सिटी ऑफ ज मू से डिग्री प्राप्त करने वालों को 1770 रुपए प्रति डिग्री की वेरिफिकेशन के चार्ज देने होंगे। कुछ शिक्षकों ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि चंद शिक्षकों की गलती की सजा प्रदेश के सभी शिक्षकों की मिल रही है। ऊपर से यदि सरकार डिग्रियां चैक करवाना चाहती है तो उसके लिए वह स्वयं प्रावधान करे।

यह है फर्जी डिग्री का पूरा मामला
बताते चलें कि शिक्षा विभाग में वर्ष 2004-05 में पूर्व सैनिक कोटे से भर्तियां हुई थीं। आरोप लगे कि 17 अ यर्थियों ने बिहार की मग्ध यूनिवर्सिटी से बीए, एमए और बीएड की डिग्रियां हासिल कर प्रदेश के शिक्षा विभाग में नौकरियां हासिल की थीं जिसकी कुछ समय बाद कई लोगों ने विजिलेंस में शिकायत की थी। शिकायत के बाद वर्ष 2018 में विजिलेंस की एक टीम बिहार के मगध विश्वविद्यालय में जांच के लिए पहुंची तो वहां 17 में से नौकरी पर लगे 15 शिक्षकों का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। विजिलेंस ने जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी, लेकिन किसी कारणवश आगामी कार्रवाई लटक गई। इसके बाद दोबारा जांच के निर्देश जारी हुए तो विजिलेंस टीम वर्ष 2022 में फिर मगध यूनिवर्सिटी पहुंची। यहां बताया गया कि हिमाचल में सेवारत इन 15 शिक्षकों ने इस विश्वविद्यालय में न तो कभी दाखिला लिया था और न ही परीक्षाएं दी हैं। आरोपी शिक्षकों के पास जो डिग्रियां हैं, वे फर्जी हैं। 17 में से केवल दो शिक्षकों का रिकॉर्ड ही सही पाया गया।

हमीरपुर कोर्ट में पेश हुए हैं 13 चालान
बता दें कि हिमाचल में फर्जी डिग्री पाकर शिक्षा विभाग में नौकरी पाने वाले प्रिंसीपल समेत 15 शिक्षकों के खिलाफ भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप में केस दर्ज हुए हैं। विजिलेंस ने जांच पूरी करने के बाद आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश कर दिए हैं। हमीरपुर की कोर्ट में सबसे अधिक 13 आरोपियों के चलान जबकि धर्मशाला और नाहन की अदालत में एक-एक चालान पेश किया गया है। शिक्षा विभाग क मानें तो दोषी पाए जाने पर शिक्षकों को नौकरी से बर्खास्त करने के अलावा वेतन के रूप में जारी राशि की वसूली भी की जाएगी।
Khabar Logy
Author: Khabar Logy

Himachal Pradesh

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