हिन्दी कैलेण्डर के अन्तिम माह फाल्गुन की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को फुलैरा-दूज मनाई जाती हैं। इसे एक पवित्र दिन के रूप में पूजा जाता हैं। मथुरा, वृन्दावन के स्थानों पर कृष्ण मन्दिरों में इस त्यौहार का महत्व सर्वाधिक हैं। इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार यह फरवरी, मार्च में मनाया जाता हैं। यह त्यौहार इस वर्ष 12 मार्च 2024, दिन मंगलवार को मनाया जा रहा है।
फुलैरा-दूज यह उत्तरी भारत का त्यौहार है, जिसे रंगों का त्यौहार भी कहा जाता हैं। यह खासतौर पर मथुरा, वृंदावन में मनाया जाता हैं। इसे सभी भक्तजन श्रद्धा से श्री कृष्ण के मन्दिर में मनाते हैं। इस त्यौहार को मनाने के लिये कई मिष्ठान तैयार किये जाते हैं, जिन्हें श्रद्धा के साथ भगवान कृष्ण को समर्पित किया जाता हैं। इस दिन मन्दिरों में कृष्ण की लीलाओं का गान किया जाता है। भजन एवम नृत्य के साथ भगवान कृष्ण की भक्ति की जाती है। साथ ही इसे शुभ दिन मानकर कई शुभ कार्य किये जाते हैं।
यह त्यौहार बसन्त पंचमी और होली के त्यौहार के बीच फाल्गुन में मनाया जाता हैं। फुलैरा-दूज को एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में मनाया जाता हैं, इसे दोषमुक्त दिन के रूप में पूजा जाता हैं। जैसे किसी भी महत्वपूर्ण कार्य के लिए शुभ मुहूर्त के हिसाब से दिन एवं समय का चुनाव किया जाता हैं, वैसे ही इस फुलैरा-दूज के पूरे दिन को शुभ माना जाता हैं। इस दिन किसी भी प्रकार के शुभ कार्य के लिये मुहूर्त नहीं देखा जाता। इस दिन के किसी भी समय में शुभ कार्य किया जा सकता हैं। खासतौर पर यह दिन विवाह के लिए शुभ माना जाता हैं। इस दिन किसी भी समय बिना मुहूर्त के विवाह की रस्में निभाई जा सकती हैं।
1. इस दिन घर में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती हैं और अपने इष्ट देव को गुलाल चढ़ाया जाता हैं। यह गुलाल मस्तक, गाल एवं दाड़ी में लगाया जाता हैं।
2. इस दिन मिष्ठान बनाया जाता हैं और अपने ईष्ट देव एवम कृष्णा को उसी का भोग लगाया जाता हैं।
3. भगवान कृष्ण के मन्दिर में भजन गाये एवम सुने जाते हैं।
4. अगर कोई व्यक्ति नया कार्य शुरू करना चाहता है, तो यह दिन उस कार्य की शुरुआत के लिये सबसे उपयुक्त दिन माना जाता हैं।
5. यह दिन कृष्ण से प्रेम को व्यक्त करता है। इस दिन भगवान भी अपने भक्तो को उतना ही प्रेम देते हैं। इस दिन भक्तजन अपने आराध्य देव कृष्ण से भक्ति के माध्यम से जुड़ते हैं।
6. यह दिन उत्साह के रूप में मनाया जाता हैं, भगवान की कृपा का अभिवादन किया जाता हैं। यह दिन सभी तरफ प्रेम और खुशियाँ बिखेरता हैं।
यह दिन एक शुभ दिन की तरह मनाया जाता है, लेकिन इस एक तथ्य को लेकर कई विवाद होते हैं। ज्योतिष विज्ञान के कई ज्ञाता इस तथ्य को स्वीकार नहीं करते, कि इस दिन का प्रति पल शुभ हैं और इस दिन किसी भी समय शुभ कार्य किया जा सकता हैं। इस प्रकार कई लोग इस प्रथा को मानते हैं और कई नहीं।
“जय जय श्री राधे”
Author: Khabar Logy
Himachal Pradesh