स्कूली छुट्टियों में भी व्यवस्था परिवर्तन जरूरी, सत्र शुरू होते ही निजी स्कूलों में दाखिले सरकारी में छुट्टियां

हमीरपुर. ग्रीष्मकालीन स्कूलों में हर साल की भांति इस बार भी अप्रैल से शैक्षणिक सत्र आरंभ हो गया। सत्र शुरू होते ही जहां निजी स्कूलों में दाखिले करवाने के लिए स्कूल प्रबंधन पूरी तरह से जुट गए हैं, वहीं सरकारी स्कूल अवकाश पर चले गए हैं। यूं कहें तो यहां एक अप्रैल से 4 तक छुट्टियां हो गई हैं जबकि निजी स्कूल इस दौरान बच्चों को अपने यहां एडमिशन करवाने के लिए डट जाते हैं। इस अविध में बहुत से स्कूलों में से बच्चे निजी स्कूलों में पलायन कर जाते हैं। इन चार दिनों का यदि सही इस्तेमाल किया जाए तो सरकारी स्कूलों में एडमिशन का ग्राफ बढ़ेगा जिसकी बातें हर साल शिक्षा विभाग द्वारा की जाती हैं। अप्रैल की शुरुआती इन चार दिनों की इन छुट्टियों को बरसाती छुट्टियों के साथ जोड़ा जा सकता है।
अकसर यह भी देखा गया है कि हर बार मानसून की छुट्टियां खत्म होने के बाद एकाएक मानसून छुट्टियों के शेड्यूल को बदलने की मांग उठने लगती है। कुछेक वर्षों से जब से छुट्टियों के शेड्यूल को बदला गया है यह समस्या छुट्टियां खत्म होने के बाद स्कूल खुलने पर हर बार खड़ी हो जाती है। वजह है बरसात का अपनी चरम सीमा पर होना। पहाड़ी प्रदेश में अगस्त ऐसा होता है जब बरसात अपने पूरे रौद्र रूप में होती है लेकिन छुट्टियों के शेड्यूल के अनुसार अगस्त शुरू होने के साथ ही स्कूल भी खुल जाते हैं। एक तरफ स्कूल खुलते हैं, दूसरी तरफ बरसात जोर पकड़ लेती है। पिछली बरसात व आपदा से सब भलिभांति परिचित हैं। लेकिन कोई इस विषय को गंभीरता से नहीं लेता। न तो शिक्षक संघ न ही शिक्षा विभाग। लेकिन इस बार छुट्टियों को लेकर व्यवस्था परिवर्तन की उम्मीद सरकार से की जा रही है।
दरअसल प्रदेश के ग्रीष्मकालीन स्कूलों में छुट्टियां 22 जून से 29 जुलाई तक होती हैं। यह शेड्यूल न तो गर्मियों को कवर करता है न ही बरसात को। जबकि कुछ साल पहले ये छुट्टियां जुलाई के दूसरे सप्ताह से शुरू हो कर अगस्त के अंतिम सप्ताह तक होती थीं। लेकिन जिस तरह पिछली सरकार ने यह शेड्यूल बदला है, वह समझ से परे है। प्रदेश में बरसात 15 जुलाई के बाद शुरू होती है। अगस्त में बरसात अपने चरम पर होती है। जबकि छुट्टियों के वर्तमान शेड्यूल अनुसार 30 जुलाई को स्कूल खुलेंगे। ऐसे में बच्चों से लेकर शिक्षकों तक को भरी बरसात में स्कूलों का रुख करना पड़ता है। इस दौरान छोटे-छोटे नदी नाले भी उफान पर होते हैं। कई बार जिला प्रशासन व स्थानीय प्रशासन को अवकाश तक घोषित करना पड़ता है। दुर्भाग्यवश कहीं बच्चों के बहने समेत अन्य दुर्घटनाएं भी देखने सुनने को मिलती हैं। इसी तरह सर्दियों की 6 छुट्टियां पहले 25 दिसंबर से होती थीं, लेकिन पिछली सरकार में इसका भी बंटाधार कर दिया गया। यह छुट्टियां लोहड़ी के दिनों में कर दीं जबकि इन दिनों बच्चों की बोर्ड व अन्य परीक्षाएं नजदीक होती हैं बच्चों की पढ़ाई की लय टूटती है। एक आंकड़े के अनुसार प्रदेश भर में 99 प्रतिशत अभिभावक, बच्चे व शिक्षक छुट्टियों के वर्तमान शेड्यूल से सहमत नहीं हैं।

बरसात में 10 दिन करनी पड़ी थीं अतिरिक्त छुट्टियां
पिछले कुछेक वर्षों से मौजूदा स्कूली छुट्टियों के शेड्यूल के कारण विभिन्न जिलों में जिला प्रशासन को स्कूलों में अपने स्तर पर अतिरिक्त छुट्टियां करनी पड़ीं। बात करें कांगड़ा जिला की ही तो वहां पिछली बार मानसून छुट्टियों के बाद स्कूलों को खुले अभी सप्ताह भर ही हुआ था की भारी बरसात में फिर दुबारा स्कूलों को बंद करना पड़ा अकेले कांगड़ा जिला में ही स्कूल खुलने के बाद लगभग 10 दिन लगातार स्कूल बंद रहे हैं। यही हाल पिछले 4-5 दिनों में प्रदेश के ज्यादातर जिलों में रहा जहां सभी निजी व सरकारी शैक्षणिक संस्थानों को भारी बरसात के कारण बंद करना पड़ा।

कुछ इस तरह बनाई जा सकती है व्यवस्था
ग्रीष्मकालीन स्कूलों में 26 जून से होने वाली छुट्टियां 31 जुलाई तक चलती हैं जोकि 36 दिन की होती हैं। 4 दिन दीपावली के दौरान अवकाश होता है। 6 दिन का अवकाश लोहड़ी के दिनों में होता है। दरअसल वार्षिक परीक्षाओं के नजदीक जनवरी का 6 दिन का अवकाश उचित नहीं है। इसकी बजाए इन 6 दिनों का अवकाश दिसंबर के अंतिम सप्ताह या फिर मौसम के हिसाब से स्थानीय जिलाधीश, उप-मंडलाधिकारी अपने स्तर पर कर सकें तो सही होगा। अप्रैल के 4 दिनों को बरसात की छुट्टियों के साथ जोड़ा जा सकता है और इस शेड्यूल को जुलाई के दूसरे सप्ताह से शुरू किया जा सकता है ताकि बरसात से बचा जा सके। शीतकालीन स्कूलों में होने वाला अवकाश भी वहां की भौगोलिक परिस्थितियों व स्थानीय प्रशासन के द्वारा तय किया जा सकता है।

Khabar Logy
Author: Khabar Logy

Himachal Pradesh

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