हमीरपुर . नैणों की मत माणियो रे, नैणों की मत सुणियो, नैणा ठग लेंगे….। वर्ष 2006 में आई हिंदी मूवी ओंकारा में गीतकार गुलजार साहब का लिखा यह गीत चुनावों की इस बेला में उन नेताओं को सावधान करने के लिए काफी है जो अपनी रैलियों और जनसभाओं में भीड़ देखकर इतरा रहे हैं। वो नेता जिन्हें लगता है कि सबकुछ ठीक हो गया है या ठीक चल रहा है। दरअसल आज प्रदेश की राजनीति में जो कुछ घट रहा है वो एक संदेश और सबक दे रहा है कि किसी भी पार्टी के प्रत्याशियों को इन चुनावों खासकर में खतरा विरोधियों से कम होगा जबकि उस भीड़ से ज्यादा होगा जो उनके साथ खामोश चल रही है या फिर सेलिब्रिटियों की बातों के चटखारे ले रही है। यह बात एक ही पार्टी पर लागू नहीं होती बल्कि दोनों जगह एक से हाल हैं। एक अनार सौ बीमार की स्थिति से जूझ रही कांग्रेस की बात करें तो यहां प्रत्याशियों की लगी लंबी लाइन में सब बैठक मंच तो साझा कर रहे हैं लेकिन जिसका टिकट कटा वो किस तरफ रुख कर लेगा कोई नहीं कह सकता। क्योंकि कांग्रेस में भी जिस तरह भाजपा से आए नेताओं पर दाव खेलने की तैयारी की जा रही है, उससे उनको जरूर चोट लगेगी जो वर्षों से पार्टी के साथ चल रहे हैं। उधर, भाजपा में यह स्थिति और नाजुक है। बात मु यमंत्री के गृहजिले की ही करें तो हमीरपुर के दो पूर्व कांग्रेस विधायक पिछले दिनों भाजपा में शामिल हुए हैं और अब अपने-अपने हलकों में भगवा ब्रिगेड के साथ कार्यक्रम कर रहे हैं कहीं बैठकों का दौर चला हुआ है तो कहीं रैलियों का। दिलचस्प बात यह है कि हर जगह छोटे-छोटे कार्यक्रमों में भी अपेक्षा से अधिक भीड़ उनके कार्यक्रमों में देखी जा रही है।
जिलाध्यक्ष से लेकर मंडल अध्यक्ष और तमाम कार्यकारिणी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी कार्यक्रमों में इस कदर नजर आ रहे हैं कि मानों वर्षों से साथ चल रहे हों। वही नेता पटके पहनाकर उनका स्वागत कर गलबहियां डाल रहे हैं जो कभी अपने ब्यानों में शब्दों के बाणों से एक-दूसरे का सीना छलनी कर दिया करते थे। फिर चाहे बात विधानसभा क्षेत्र बड़सर की हो, सुजानपुर की हो या फिर हमीरपुर की। जो कभी बाहर से आया हुआ पंजाबी लगता था, जो कभी माफिया लगता था या फिर जिस चुने हुए विधायक के कार्यक्रम में आने से एसडीएम से लेकर बीडीओ तक आने से किनारा करते थे ताकि पूर्व विधायक नाराज न हो जाएं वो रातों ही रात आंख के तारे हो गए। खैर, वर्तमान सियासी घटनाक्रम बताते हैं कि आज की राजनीति में सबकुछ संभव है। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि क्या यह भीड़ चुनाव के दौरान ईवीएम मशीनों तक भी पहुंचेगी और सही बटन दबाएगी या फिर यहीं तक साथ निभाएगी। दरअसल एक समय ऐसा भी था जब किसी भी नेता की रैली या जनसभा की भीड़ से उसकी हार-जीत का अंदाजा लगाया जाता था लेकिन आज वो बातें गुजरे जमाने की हो गईं।
कांग्रेस मानों लोकसभा चुनावों को भूल ही गई
मुख्यमंत्री के गृहजिले में कांग्रेस का एकमात्र एजेंडा उपचुनाव जीतना ही लग रहा है। दरअसल मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष चंद्रशेखर की मौजूदगी में सुजानपुर में वार्ड नंबर छह में जो जनसभा हुई उसमें एक भी वक्ता ने लोकसभा चुनावों का जिक्र नहीं किया। सबके निशाने पर केवल राजेंद्र राणा ही रहे। इससे एक बात तो स्पष्ट है कि हमीरपुर जिले में खासकर लोकसभा चुनाव औपचारिकता मात्र होंगे। ज्यादा फोकस यहां विधानसभा के उपचुनावों पर रहेगा।
Author: Khabar Logy
Himachal Pradesh