Hamirpur का यह ऐतिहासिक गांधी चौक है जो अंजान लोगों को शहर का पता बताता है

हमीरपुर. जिला मुख्यालय हमीरपुर का ऐतिहासिक गांधी चौक जो वर्षों से छोटे से बड़े समाजिक, धार्मिक और राजनैतिक आयोजनों का गवाह रहा है, आज अपनी नई काया पाकर इठलाता और जगमगाता हुआ नजर आ रहा है। वो गांधी चौक जो जिसने यहां आने वाले अन्जान लोगों को हमीरपुर शहर का पता बताया है उसका रंग-रूप बदला-बदला सा नजर आ रहा है। समय-समय पर इसके जीर्णोद्धार की मांग उठती रही और कई बार इसके मुरम्मत कार्य हुए भी। लेकिन पहली बार शहर का यह मुख्य साइन प्वाइंट ऐसे रंग-रूप में नजर आया है जिसकी कल्पना शायद वर्षों से लोग कर रहे थे। गुुरुवार को शहर का यह मुख्य स्थल गांधी चौक नए रंग रूप में लोगों को समर्पित कर दिया गया। नगर परिषद हमीरपुर द्वारा पिछले करीब 45 दिनों से गांधी चौक के चलाए गए जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण के कार्य को कारीगिरों ने बुधवार को अंतिम रूप दे दिया। दिलचस्प बात यह रही कि इस चौक को संवारने का काम डेढ़ महीने से युद्धस्तर पर दिन-रात चलता रहा। बताया जा रहा है कि इस पर 20 लाख से अधिक की राशि खर्च की गई है। पूरा गांधी चौक शाम होते ही रंग-बिरंगी व दुधिया रोशनी से जगमगा रहा है। ऐसे में शहर से गुजरने वाले लोग गांधी चौक के नुए लुक की वीडियो बनाने व फोटो खींच कर सोशल मीडिया में डाल रहे हैं।
इतिहास पर नजर दौड़ाए तो ऐतिहासिक गांधी चौक का उद्घाटन महात्मा गांधी की जयंती पर 2 अक्तूबर 2005 को हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र की विधायिक अनिता वर्मा ने किया था। गांधी चौक का डिजाइन एनआईटी हमीरपुर द्वारा बनाया गया था, जोकि शहर के लोगों को भी काफी पसंद भी आया था। लेकिन समय के साथ-साथ और बदलते परिवेश के कारण गांधी चौक के जीणोद्धार की मांग पिछले कुछ वर्षों से उठ रही थी। ऐसे में करीब 18 वर्षों बाद इसको दुरुस्त करने का काम शुरू किया गया था। नगर परिषद हमीरपुर ने शहर के व्यस्त चौक होने के बावजूद भी 45 दिनों के अंदर दिन-रात काम करते हुए ऐतिहासिक गांधी चौक को लोगों को समर्पित कर दिया है। गांधी चौक की दीवारों व छत्त को नए डिजाइन में सजाया गया है। इसके अलावा चौक की सीढिय़ों को भी बदला गया है। गांधी चौक में रखे गए पुराने बैंच इत्यादि बदलकर नए बैंच लोगों को बैठने के लिए लगाए दिए गए हैं। यही नहीं ऊपर व नीचे फूलों के गमले रखे गए हैं, ताकि यहां पर जो भी लोग यहां बैठें उन्हें फूलों की खुशबू और रंगत खुशनुमा बनाती रहे। इसके अलावा छत्त पर दो पंखे भी लगाए जाएंगे। गांधी चौक के ऊपर व नीचे छोटी-छोटी लाइटें लगाई गई हैं, जोकि शाम ढलते ही दूधिया रोशनी व रंग-बिरंगी लाइटों से जगमगा रही हैं। गांधी चौक के टॉप पर टूरिज्म विभाग द्वारा बड़ी एलईडी स्क्रीन भी लगाई जाएगी। इसमें विज्ञापन इत्यादि प्रसारित किए जाएंगें जोकि नगर परिषद की आय का स्त्रोत हो सकता है।
Gandhi Chowk old look

 

1966 में लगाई थी महात्मा गांधी की प्रतिमा
80 के दशक में कर्मचारियों की हड़ताल के केंद्र बिंदु के रूप में भी गांधी चौक काफी मशहूर हुआ था। धरना-प्रदर्शनों तथा आंदोलनों के चलते लोगों ने इस चौक को क्रांति चौक का नाम देना भी शुरू कर दिया था। 1980 में कर्मचारियों की प्रदेशव्यापी हड़ताल के दौरान सभी कर्मचारी यहां पर ही एकत्रित होते थे और यहां से अपनी रैलियों का श्रीगणेश भी करते हैं। इस हड़ताल के बाद नियमित तौर पर धरने और प्रदर्शनों के लिए कर्मचारियों तथा श्रमिकों ने इस चौक को ही केंद्र बिंदु के रूप में चुना।

 

1966 में स्थापित की गई थी गांधी की प्रतिमा
जानकारों की मानें तो 1966 के आस-पास इस चौक पर गांधी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। उस समय हमीरपुर शहर पंजाब सरकार के अधीन हुआ करता था। बताते हैं कि महात्मा गांधी की प्रतिमा को नौ अगस्त 2000 को कुछ शरारती तत्वों ने तोड़ दिया था, जिस पर काफी हंगामा भी हुआ था और मामला माननीय न्यायालय तक पहुंचा था।

 

मास्टर हरनाम व ज्ञान चंद ने दी थी जमीन

चौक पर गांधी चौक की प्रतिमा स्थापित करने के लिए जमीन मास्टर हरनाम सिंह ठाकुर और स्वर्गीय ज्ञान चंद पुत्र गुलाबा राम गौड़ा खुर्द (अप्पर) वार्ड नंबर दस से ली गई थी। इसके साथ ही हमीरपुर शहर का पुराना बस अड्डा भी स्थित था। यहां से अड्डा तबदील हो गया और चौक से कुछ दूरी पर ही मिनी सचिवालय का निर्माण करवाया गया। आज जब गांधी चौक का जीर्णोद्धार हुआ है तो हर कोई मास्टर हरनाम सिंह और स्वर्गीय ज्ञान चंद को याद कर रहा है।

Khabar Logy
Author: Khabar Logy

Himachal Pradesh

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