…तो फिर कैसे स्कूल चलें हम, सरकारी स्कूलों में पीटीए फंड के नाम पर उगाही

हमीरपुर . एक तरफ सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं, दूसरी ओर कुछ स्कूलों में अपनी मर्जी से बनाए जा रहे नियम इस मुहिम में रोड़ा अटकाते हुए नजर आ रहे हैं। दरअसल सरकार ने सरकारी स्कूलों में आठवीं कक्षा तक (6 से 14 साल तक) फ्री शिक्षा का प्रावधान कर रखा है जिसके तहत दाखिला लेने वाले किसी भी बच्चे से किसी भी तरह की एडमिशन फीस या अन्य फंड नहीं लिए जा सकते। लेकिन जिला हमीरपुर के कुछ स्कूलों में अभिभावकों से पीटीए फंड के नाम पर कहीं 150, कहीं 200 तो कहीं 300 रुपए की उगाही की जा रही है। अभिभावक जब स्कूलों में बच्चों का एडमिशन करवा रहे हैं तो उनसे पीटीए फंड के नाम पर पैसे लिए जा रहे हैं। ऐसे में कुछ अभिभावक तो कल आने की बात कहकर दोबारा स्कूल में आ ही नहीं रहे और उस स्कूल को तलाश रहे हैं या रुख कर रहे हैं जहां पीटीए फंड न लिया जा रहा हो।
दरअसल 5 अप्रैल से 18 अप्रैल तक नए सेशन के लिए सरकारी स्कूलों में एडमिशन की जा रही हैं। बाद में हर साल की तरह एडमिशन की डेट बढ़ाई भी जा सकती है जोकि अच्छी बात है लेकिन इस तरह गरीब माता-पिता से पीटीए फंड का पैसा लेना तर्क संगत नहीं लगता जबकि इसका कोई  प्रावधान है ही नहीं। उधर, मिली जानकारी के मुताबिक पीटीए फंड के नाम पर पैसा लेने वाले स्कूल इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि भविष्य में यदि पीटीए पर कोई शिक्षक रखना पड़ जाए या फिर स्कूल से जुड़ा कोई खर्च करना पड़ जाए तो इस पैसे से किया जाएगा। यहां बताना जरूरी है कि चकाचौंध और आधुनिकता के इस दौर पर अधिकतर माता-पिता प्राइवेट स्कूलों का रुख करते हैं। सरकारी स्कूलों में वही बच्चे जाते हैं जिनके परिजन दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। उनके खर्चे फिक्स होते हैं ऐसे में उन्हें इस तरह से स्कूलों में पीटीए फंड के नाम पर पैसा देना पड़े तो फ्री शिक्षा के दावे बेमानी हो जाएंगे। ऐसा सिस्टम केवल हमीरपुर जिले में ही चला होगा इस बात को नहीं माना जा सकता अन्य जिलों में भी इस तरह का सिस्टम चला होगा। शिक्षा विभाग को इस संदर्भ में जरूरी निर्देश जारी करने होंगे।

 

जिला हमीरपुर में 112 मिडल, 470 प्राइमरी स्कूल
एजुकेशनल हब कहे जाने वाले जिला हमीरपुर में स्कूलों की स्थिति पर नजर दौड़ाएं तो यहां 470 प्राइमरी, 112 मिडिल, 63 उच्च और 99 के लगभग वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल हैं।  पिछले कुछ वर्षों से स्कूलों को इसलिए बंद करना पड़ रहा है कि वहां छात्रों की संख्या न के बराबर हो गई है। सरकारी स्कूलों में इन्रोलमेंट बढ़ाने के लिए हर साल नए-नए प्रयोग शिक्षा विभाग कर रहा है लेकिन इस तरह से स्कूलों में मनमानी सारी व्यवस्था को बिगाड़ रही है।

 

कोई भी स्कूल इस तरह फंड नहीं ले सकता
इस बारे में डिप्टी डायरेक्टर ऐलीमेंट्री एजुकेशन अशोक कुमार का कहना है कि 14 साल तक के बच्चों यानि आठवीं कक्षा तक हर छात्र या छात्रा के लिए सरकार की ओर से फ्री शिक्षा का प्रावधान किया गया है। किसी भी तरह का फंड बच्चों के अभिभावकों से नहीं लिया जा सकता। जहां तक स्कूलों में खर्चों की बात है तो उसके लिए समय-समय पर सरकार की ओर से फंड दिए जाते हैं। यदि कोई भी स्कूल ऐसा कर रहा है तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।

Khabar Logy
Author: Khabar Logy

Himachal Pradesh

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