कुल्लू । देवभूमि हिमाचल की कई तरह की धार्मिक परंपराओं को सहेजने वाले जिला कुल्लू कुछ गांवों में देव परपंरा का निर्वहन करते हुए अगले पांच दिन जमीन पर किसी भी तरह की लोहे की वस्तु लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस के चलते अब अगले पांच दिन तक कृषि से जुड़ा कोई भी कार्य संबंधित गांवों में नहीं होगा।
जानकारी के मुताबिक जिला कुल्लू के कुलान्तक पीठ खराहल घाटी की न्योली पंचायत के गांव न्योली मुआफ़ीदार जुआणी महादेव मंदिर में मध्य रात्रि को शिवलिंग पर सतयुगी मोहरा मुकुट देव परम्परा अनुसार स्थापित किया गया। इसे स्थानीय बोली में बीठ निकलना कहते हैं।
शिवलिंग पर मोहर स्थापित होते ही आसपास के 12 गांव के हारियानों अनुयायियों के लिए कृषि कार्य पर पाबन्दी लग जाती है। यह पाबन्दी पांच दिन तक रहेगी।
जानकारी अनुसार न्योली, जुआणी, जगोट, ओड़ीदार, ग्राहण, थरमाण, थरमाण सेरी, लुगडभ_ी, जुआणी रोपा, जोकरपोधा, देवधार आदि गांव के लोग कृषि कार्य ही नहीं, बल्कि धरती पर या खेतों में लोहा से छुएंगे भी नहीं। अनुश्रुति अनुसार जब स्थानीय महिला खेत मे गुड़ाई कर रही थी तो कुदाली लगने से मोहरा जमीन से निकला था।
किसी को नहीं मोहरा देखने की इजाज़त
जानकारी के मुताबिक शिवलिंग का मोहरा साल में दो बार निकलता है। बैसाखी व सावन में भादो माह लगते से पूर्व देव भंडार से निकालकर शिवलिंग में स्थापित किया जाता है। इस मोहरें को किसी को भी देखने की इजाजत नहीं है।
Author: Khabar Logy
Himachal Pradesh