हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर में भी उग सकता है किवी, गांव हनोह के सुरेश ने तैयार किया बागीचा

एग्रीकल्चर डेस्क. हमीरपुर

पौष्टिकता एवं औषधीय गुणों से भरपूर और बाजार में अक्सर ऊंचे दामों में मिलने वाला फल ‘किवी’ क्या हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जैसे गरम इलाके में भी हो सकता है? आम तौर पर तो यह असंभव ही लगता था, लेकिन जिला के भोरंज उपमंडल के गांव हनोह के सुरेश कुमार और उनकी धर्मपत्नी रमेश कुमारी ने उद्यान विभाग की मदद से लगभग 12 कनाल जमीन पर किवी के 100 पौधों का बागीचा तैयार करके सभी मिथकों को तोड़ दिया है। मात्र 5 महीनों में ही सुरेश कुमार के बागीचे में लहलहा रहे किवी के बेलनुमा पौधे साफ बयां कर रहे हैं कि हमीरपुर जैसे क्षेत्र में भी किवी के उत्पादन की काफी अच्छी संभावनाएं हैं। यह सब संभव हो पाया है सुरेश कुमार एवं उनकी धर्मपत्नी की दृढ़ इच्छा शक्ति, एक अलग सोच, कड़ी मेहनत तथा उद्यान विभाग की सब्सिडी योजनाओं के कारण।
दरअसल, सुरेश कुमार करीब 40 वर्षों से दिल्ली में एक प्रसिद्ध बासमती निर्यातक कंपनी में कार्य कर रहे थे। वहां खेती-किसानी से जुड़ी गतिविधियों में उनकी काफी रुचि रहती थी तथा वह अपनी जमीन पर नकदी फसलों की खेती के सपने देखते थे, लेकिन नौकरी की व्यस्तताओं तथा उपयुक्त जमीन के अभाव में वह अपने इस सपने को पूरा नहीं कर पा रहे थे। कंपनी से रिटायर होने के बाद सुरेश कुमार कृषि-बागवानी में कुछ नया करने की सोच रहे थे, लेकिन संसाधनों की कमी आड़े आ रही थी। इस बीच उन्होंने लगभग 12 कनाल जमीन खरीदी और कड़ी मेहनत करके खेत तैयार किए। इसी दौरान उन्हें उद्यान विभाग की विभिन्न सब्सिडी योजनाओं की जानकारी भी मिली। विभाग के अधिकारियों ने सुरेश कुमार का मार्गदर्शन किया तथा उन्हें किवी की खेती के लिए प्रेरित किया। उद्यान विभाग ने टैंक निर्माण के लिए सुरेश कुमार को 70 हजार रुपये की सब्सिडी जारी की। इसके अलावा किवी के पौधों के लिए भी अनुदान प्रदान किया। आज सुरेश कुमार के खेतों में किवी के 100 बेलनुमा पौधे लहलहा रहे हैं। अब आने वाले समय में इनमें फल लगने का इंतजार है। सुरेश कुमार का कहना है कि किवी की पैदावार से किसान-बागवान अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं, क्योंकि बाजार में यह फल बहुत ही ऊंचे दामों पर बिकता है।


उद्यान विभाग की पे्ररणा से सुरेश कुमार ने अब नींबू और अन्य प्रजातियों के पौधे भी लगाए हैं। इसके अलावा फूलों की खेती के लिए एक पॉलीहाउस भी लगा रहे हैं। विभिन्न सब्सिडी योजनाओं के लिए प्रदेश सरकार का धन्यवाद करते हुए सुरेश कुमार और उनकी धर्मपत्नी रमेश कुमारी का कहना है कि इन योजनाओं का लाभ उठाकर आज के युवा कृषि-बागवानी और इनसे संबंधित अन्य गतिविधियों के माध्यम से घर में ही अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं। इस प्रकार, 63 वर्षीय सुरेश कुमार और उनकी धर्मपत्नी की कड़ी मेहनत और जागरुकता अन्य किसानों-बागवानों के लिए भी एक मिसाल बन चुकी है।

Khabar Logy
Author: Khabar Logy

Himachal Pradesh

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