मक्खन घास दूर करेगा हरे चारे की समस्या , किसानों को एक किलो बीज पर 125 रुपए की सब्सिडी

एग्रीकल्चर डेस्क

हमीरपुर जिला के किसानों को हरे चारे के लिए इस बार ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। कृषि विभाग हमीरपुर किसानों को इस बार मक्खन घास भी सबसिडी पर मुहैया करवाने जा रहा है, ताकि किसानों को सर्दियों के मौसम में हरे चारे की किल्लत से न जूझना पड़े। कृषि विभाग ने जिला के सभी ब्लॉकों को मक्खन घास का 60 क्विंटल बीज मुहैया करवा दिया है, ताकि किसानों को घरद्वार के नजदीक बेहतर क्वालिटी का बीज मिल सके।
बता दें कि कृषि विभाग हमीरपुर किसानों को इस बार मक्खन घास का बीज भी सबसिडी पर मुहैया करवा रहा है। किसानों को एक किलो बीज पर 125 रुपए की सबसिडी मुहैया करवाई जा रही है। विभाग ने मक्खन घास की खेप जिला के सभी ब्लॉकों को भेज दी है, ताकि सभी किसानों को घास का बीज समय पर मिल सके। कृषि विभाग ने हमीरपुर ब्लॉक को 15 क्विंटल, नादौन ब्लॉक को 16 क्विंटल, भोरंज ब्लॉक को 15 क्विंटल, बिझड़ी ब्लॉक को पांच क्विंटल, बमसन ब्लॉक को पांच क्विंटल और सुजानपुर ब्लॉक को चार क्विंटल मक्खन घास की खेप मुहैया करवा दी है। किसान अपने नजदीक के ब्लॉक से मक्खन घास डिमांड के मुताबिक खरीद सकते हैं। किसान मक्खन घास की बिजाई रवि मौसम में नवंबर-दिसंबर तक कर सकते हैं। किसान प्रति बीघा मक्खन घास का साढ़े तीन किलो बीज खेत में डाल सकते हैं या फिर बरसीम के साथ मिलाकर प्रति बीघा दो किलो बीज खेतों में डाल सकते हैं। बिजाई के 10-15 दिनों बाद बीज अंकुरित हो जाता है। किसान इसके बाद खेतों में सिंचाई कर सकते हैं। फिर 20 दिनों के बाद खेतों में सिंचाई करें। किसान मक्खन घास की पहली कटाई 35 दिनों के बाद कर सकते हैं। किसान मक्खन घास की पांच-छह कटाई एक सीजन में प्राप्त कर सकता हैं, यानि पूरा मौसम किसानों को हरा चारा मिलता रहेगा। किसान एक बीघा जमीन से 60 से 100 क्विंटल हरा चारा प्राप्त कर सकता है। यही नहीं कटाई के बाद यूरिया देकर सिंचाई करने पर मक्खन घास अधिक बढ़ता है। मक्खन घास में प्रोटीन 14 से 18 फीसदी होती है और घास स्वादिष्ट और रसीली होने के कारण पशु इसे बड़े चाव से खाते हैं। जिसके सेवन से पशुओं के दूध की मात्रा भी अधिक बढ़ती है। यह नहीं इस घास में कैल्शियम की मात्रा भी अधिक होती है। यह एकदम चमकीली हरी होने की वजह से पशु इसे बड़े चाव से खाते हैं। इसके बीज में किसी प्रकार का कीट भी नहीं लगता है। मक्खन घास से किसान दूध के उत्पादन में भी वृद्धि कर सकते हैं। डेरी का कारोबार करने वाले किसानों में मक्खन घास की काफी डिमांड है। उन्हें पहले यह बीज बाजार से महंगें दामों पर खरीदना पड़ता था। यही नहीं कृषि विभाग किसानों को हरे चारे के रूप में प्रयोग होने वाले जौई व बरसीम का बीज भी जल्द ही किसानों को ब्लॉकों के जरिए मुहैया करवाएगा, ताकि किसानों की हरे चारे की समस्या काफी हद तक दूर हो सके।

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Author: Khabar Logy

Himachal Pradesh

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