हमीरपुर. केंद्र सरकार ने कुछ वर्ष पहले सभी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ साथ विधायकों, मंत्रियों और सांसदों के वाहनों पर नीली व लाल बत्ती पर रोक लगाने संबंधित आदेश जारी किए थे। उन आदेशों के बाद पूरे हिमाचल में भी उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, एसडीएम, विधायक और मंत्रियों ने भी अपने वाहनों पर वीवीआईपी कल्चर को खत्म करते हुए अपने-अपने वाहनों से नीली व लाल बत्ती उतारी थी। हालांकि बत्ती की रौआब रखने वाले कुछ नेता और यहां तक की अधिकारी भी इन आदेशों से खुश तो नहीं थे लेकिन फिर भी सरकार के आदेश थे इसलिए मानने पड़े। दरअसल इसके पीछे मंशा वीआईपी कल्चर को खत्म करने की थी। उन आदेशों को जारी हुए काफी साल भी हो गए हैं लेकिन अभी भी नए नवेले अधिकारियों में इस शौक की ठसक देखी जा रही है। गुरुवार को मु यमंत्री के गृह जिला में ऐसा ही एक मामला उस वक्त देखने को मिला जब यहां एक एसडीएम की गाड़ी के ऊपर बीकॉन लाइट देखने को मिली। जब इस लाइट को लगाने की वजह जानने का प्रयास किया गया तो अधिकारी आपदा प्रबंधन अधिनियम (डिजास्टर एक्ट) का हवाला देते हुए नजर आए। यहां बताना जरूरी है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम में इस तरह से बीकॉन लाइट लगाने के लिए बकायदा संबंधित जिले के जिलाधीश की ओर से नोटिफिकेशन जारी की जाती है।
दरअसल एसडीएम की गाड़ी के ऊपर बीकॉन लाइन का मामला उस वक्त ध्यान में आया जब गुरुवार को डीसी हमीरपुर ने जिले के सभी एसडीएम को जिला मु यालय में एक बैठक के लिए बुलाया था। इस दौरान बीकॉन लाइट लगी देखकर एसडीएम की गाड़ी के ऊपर बीकॉन लाइट देखने को मिली जिसका फोटो बाद में सोशल मीडिया में भी वायरल हुआ।
लगी तो है पर इस्तेमाल नहीं होता
इस बारे में जब संबंधित एसडीएम से मोबाइल फोन पर बात की गई तो उन्होंने माना कि उनके वाहन पर बीकॉन लाईट लगी है, लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं करते। उन्होंने डिजास्टर एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि कांगड़ा में भी कई अधिकारियों की गाडिय़ों पर ऐसी लाइट लगाई गई है।
Author: Khabar Logy
Himachal Pradesh