हमीरपुर. देवभूमि कहे जाने वाले पहाड़ी राज्य हिमाचल में कई देवी-देवताओं का वास है। यहां के कई मंदिर आज धार्मिक पर्यटन की श्रेणी में शुमार हैं जहां हिमाचल समेत बाहरी राज्यों के लोग भी पहुंचते हैं। शायद यही वजह है कि यहां धार्मिक पर्यटन की संभावनाएं रहती भी हैं और तलाशी भी जाती हैं। यहां के देवाल्यों के साथ कोई न कोई घटना और कहानी जुड़ी हुई है जिसे लोक गाथाओं और लोकगीतों में अक्सर सुना जाता है। जिला कांगड़ा के प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी से एक ऐसी ही कहानी जुड़ी है माता ज्वालामुखी के अनन्य भक्त कहे जाने वाले ध्यानू भक्त की। एक ऐसा भक्त जिसने माता के समक्ष स्वयं अपना शीश काटकर रख दिया था। ऐसा कहा जाता है कि ध्यानू भक्त की ऐसी भक्ति को श्रद्धा को देखकर मां ज्वालामुखी ने दोबारा उनका सिर धड़ से जोड़कर उन्हें जीवित कर दिया था। शायद इसलिए ध्यानू भक्त को सोलहवीं शताब्दी की धार्मिक घटना का नायक भी कहा जाता है।
ध्यानू भक्त वैष्णव भक्त होने के साथ एक महान कवि भी थे। उन्होंने माता रानी की कई भेंटे लि ाीं जिन्हें अकसर गाया जाता है। यही नहीं उनके द्वारा लिखी गई माता तारा रानी की कथा के बिना तो मां के जागरण अधूरे माने जाते हैं। ध्यानू भक्त की जिला हमीरपुर के नादौन में समाधि है। कहते हैं कि 1588 ई. को उत्तर प्रदेश में जन्में ध्यानू भक्त यहीं आकर बस गए थे और जीवन पर्यंत यहीं रहे। ऐसा भी कहा जाता है कि वे रोजाना ब्यास नदी को पार करके माता ज्वालामुखी के मंदिर में रोजाना शीश नवाने जाते थे। ब्यास नदी के उफनते धारे कभी उनकी भक्ति के बीच में नहीं आ सके। जब उन्होंने देह त्यागी तो नादौन में ही उनकी समाधि बनाई गई जिसे वर्तमान प्रदेश सरकार ने धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की योजना भी बनाई है।
पर्यटन विभाग इसे एडीबी के प्रोजेक्ट में ले रहा है। इसका प्रपोजल बनाई जा रही है कि किस तरह इस जगह को आकर्षित बनाया जाए कि पर्यटक यहां आएं। क्योंकि ध्यानू भक्त का नाता सीधे मां ज्वालामुखी से रहा है ऐसे में कहा जा सकता है कि हर साल लाखों की सं या में जो श्रद्धालू ज्वालाजी मंदिर में आते हैं वो लगभग 12 किलोमीटर दूर इस पवित्र समाधि स्थल को देखने भी जरूर आएंगे जिससे यहां धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
सरकार की ओर से इस दिशा में क्या कदम उठाए जा रहे हैं इस बात की जानकारी लेने के लिए जब एसडीएम नादौन से उनके मोबाइल फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने दो बार फोन काट दिया।
खंडहर ऐतिहासिक धार्मिक स्थली का बदलेगा स्वरूप
नादौन के पत्तन बाजार के पास जहां ध्यानू ाक्त की समाधि है कहते हैं वहां गोस्वामी समुदाय के लोग रहते थे। कहा जाता है कि ध्यानू भक्त ने ब्यास नदी के किनारे गोस्वामी थाना नाथ के मठ में कई वर्षों तक यहां रहकर अपने जीवन के दिन बिताए। यहीं उन्होंने कई सिद्धियां भी कीं। आज यहां समाधि के अलावा गोस्वामी समुदाय के देह त्याग चुके लोगों की काफी समाधियां हैं। अगर पर्यटन की दृष्टि से इस स्थान को डेवलेप किया जाता है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि नादौन की विश्व के मानचित्र पर एक अलग पहचान होगी। क्योंकि माता ज्वालमुखी में आस्था रखने वाले सभी लोगों ने ध्यानू ाक्त का नाम तो सुना है लेकिन उनकी समाधि के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। यहां तक की कांगड़ा और हमीरपुर के बहुत लोग इस बात से अनभिज्ञ हैं।
कोट्स
वर्तमान प्रदेश सरकार ने नादौन स्थित ध्यानू भक्त के समाधि स्थल को धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने का बीड़ा उठाया है। लंैड की एनओसी ली जा रही है। पर्यटन विभाग इसे एडीबी के प्रोजेक्ट में ले रहा है। एक प्रोपोजल तैयार की जा रही है। आने वाले समय में यह स्थल धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से इस तरह विकसित होगा जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी।
रवि धीमान, सहायक जिला पर्यटन विकास अधिकारी हमीरपुर
Author: Khabar Logy
Himachal Pradesh