मासिक धर्म आए तो महिलाओं को घर से निकाल देते हैं, Himachal के मंडी जिला के गांव में अनोखी परंपरा

मंडीपीरियड्स यानि महावारी या फिर मासिक धर्म.. एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें महिलाओं एवं युवतियों में प्रति माह प्राकृतिक रूप से योनि में रक्त स्त्राव होता है जिसे मासिक धर्म या पीरियड्स कहते हैं। यह एक सतत प्रक्रिया है। यह एक नेचुरल प्रोसेस है जिसमें बारे में लगभग सभी को जानकारी होगी। सरकारों के दिशा-निर्देश पर आज भी जगह-जगह खासकर स्कूलों में बेटियों को इसके बारे में अवगत करवाने के साथ-साथ इसके पीछे घसीटी जा रही भ्रातियों को भी दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण ही कि खुद को साक्षर समझने और कहने वाले हम लोगों को इन भ्रांतियों को दूर करने के लिए आज भी जागरुकता शिविरों का आयोजन करना पड़ रहा है। आज यहां इस प्राकृतिक प्रक्रिया की बात क्यों उठी है उसकी खास वजह है। वजह जिला मंडी की घडोई पंचायत के गांव में सामने आया एक मामला है।  

#menstruation : मुश्किल दिनों में ऐसे शेड में रहती हैं महिलाएं

  मीडिया के माध्यम से मामला उजागर हुआ कि यहां महिलाएं आज भी रूढ़ीवादी परंपरा से बंधी हुई है या बांधी गई हैं। सुंदरनगर उपमंडल की पंचायत घडोई पंचायत के गांव में मासिक धर्म को लेकर जो वाकया उजागर हुआ है वो हमारे शिक्षित और साक्षर होने पर सवालिया निशान लगाता है। जानकर और सुनकर हैरानी हुई कि मासिक धर्म आने पर यहां आज भी महिलाओं को घर से निकाल दिया जाता है चाहे मौसम सर्दी का हो, गर्मी का या फिर बरसात का। महिलाओं के इन मुश्किल दिनों में उनकी थकान, उनके दर्द, उनकी परेशानी को समझने की अपेक्षा उन्हें घर से बाहर बनाए शैड (छलोबडू) में रखा जाता है। लगभग चार से पांच दिन महिलाएं इसी शैड में रहती हैं। कोई इस बारे में नहीं सोचता कि उन्हें गर्मी लग रही होगी, सर्दी लग रही होगी या फिर बरसात में सांप या बिच्छु उनको काट देंगे। इस शैड के अंदर केवल आग जलाने के लिए चूल्हे और सोने के लिए बिस्तर की व्यवस्था होती है। खाना बाहर से दिया जाता है। कोई उनसे संपर्क नहीं रखता। यहां तक की वो पति परमेश्वर भी नहीं जो बाकी के लगभग 25 दिन उनको छुए बिना नहीं रह पाते फिर चाहे वो स्वस्थ हों या बीमार। इसके पीछे कारण देव आस्था को माना गया है कि घर के अंदर देवता होते हैं तो महिलाएं इस समय उनसे दूर रहें। अगर महिलाएं घर के अंदर इस दौरान गलती से आ जाएं तो उससे कोई बात नहीं करता है। इस सारे ऐपिसोड में सबसे चौंकाने वाली बात यह रहती है कि उन पांच दिनों में वैसे तो परिवार का हर सदस्य उनसे संपर्क काट लेता है लेकिन जब बात खेतों या बाहर काम की हो तो कोई धर्म या परंपरा आड़े नहीं आती। उस वक्त उनसे पूरा काम करवाया जाता है जबकि उन मुश्किल दिनों में रेस्ट की ज्यादा जरूरत हर महिला को रहती है।  

इन दिनों में नहाना और साफ रहना बहुत जरूरी

अकसर देखा गया है कि पीरियड्स में महिलाओं को बाल धोने या फिर नहाने से मना किया जाता है। जबकि इन दिनों में तो शरीर की सफाई यानी हाइजीन को बरकरार रखने के लिए रोजाना नहाना जरूरी है। फिर चाहे उन दिनों आपके पीरियड्स ही क्यों न चल रहे हों। बाल धुलने से ब्लीडिंग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। पीरियड्स के दिनों में साफ सफाई का खास खयाल रखा जाना चाहिए वरना इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। इन दिनों में महिलाओं के खान-पान का खास फोकस रखना चाहिए ताकि उनके शरीर में किसी तरह की कमी न रहे।  

Himachal प्रदेश में और कितने ऐसे गांव

जिला मंडी की घडोई पंचायत के गांव में सामने आए इस मामले के बाद यह सवाल उठने लगा है कि प्रदेश के खासकर देहात क्षेत्रों में और कितने ऐसे गांव हैं जहां ऐसा हो रहा है या होता रहा है। नि:संदेह अधिक होंगे लेकिन वहां तक कोई पहुंच नहीं पाता। या फिर जिनको इसकी खबर भी है वो देव परंपरा का विचार करके खामोश हैं। ऐसे गांव के लोगों खासकर युवाओं को इन रूढ़ीवादी प्रथाओं को खत्म करने के लिए आगे आना होगा।  

Khabar Logy
Author: Khabar Logy

Himachal Pradesh

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