नशे से बिखरती जिंदगी , सिर्फ बेबसी और लाचारी, जहन्नुम बनी पति पत्नी की जिंदगी

हमीरपुर. नशा आज के दौर का एक ऐसा विषय और समस्या बन गई है जिसकी हर मंच से चर्चा हो रही है। युवाओं को विभिन्न तरीकों से जागरूक करने का प्रयास भी किया जा रहा है लेकिन इसके मामले घटने के बजाए लगातार बढ़ रहे हैं। वक्त के साथ-साथ बदले नशे के स्वरूप की लत ने युवाओं की जिंदगी में इतना बिखराव कर दिया है कि उनसे अब यह समेटे नहीं सिमट रही। एक ऐसा ही वाकया जिला हमीरपुर में सामने आया है जिसमें पता लगा है कि चिट्टे की लत ने कैसे एक वेल क्वालिफाई 33 वर्षीय युवक और उसकी पत्नी की जिंदगी को जहन्नुम बना दिया। यह खबर बतानी इसलिए जरूरी है कि किसी और को ऐसे दिन न देखने पड़ें।
मामला जिला हमीरपुर के एक दूरदराज गांव का है। जुटाई गई जानकारी से पता चला है कि यह युवक बहुत अच्छे घराने से ताल्लुक रखता है। पिता अच्छी खासी सरकारी नौकरी करते थे। पैसों की कमी नहीं थी। युवक पढऩे में काफी होनहार था। उसने हमीरपुर में अपना ग्रेजुएशन किया और एमबीए करने के लिए धर्मशाला चला गया। यहीं से शुरू हुआ उसकी जिंदगी का काला अध्याय। कुछ ऐसे दोस्तों की संगत मिल गई कि पहले धूम्रपान, फिर शराब, फिर चरस और भांति-भांति के नशों से गुजरती जिंदगी चिट्टे की दहलीज पर आ पहुंची। नशा महंगा था तो घरवालों से कई बहाने बनाकर पैसा लेकर चिट्टे की तलब को शांत करने का प्रयास होता रहा। एक समय ऐसा आया जब पढ़ाई बीच में छोड़कर युवक वापस हमीरपुर आ गया। यहां एक युवती से प्रेम प्रसंग हो गया लेकिन कहते हैं न कि प्यार अंधा होता है तो नशे की लत में फंसे उस युवक के साथ युवती को ाी चिट्टे की लत लग गई। जब दोनों परिवारों का लगा कि अब ये उनके हाथ से बाहर निकल गए हैं तो दोनों की शादी करवा दी। दोनों चिट्टे नशे के दलदल में बुरी तरह से फंस चुके थे ऐसे में पैसों के अभाव में जिंदगी मुश्किल से गुजरने लगी, घर का माहौल खराब होने लगा। आखिर में युवक के पिता ने दोनों के गांव से बाहर एक कच्चा मकान किराये पर लेकर दिया है जहां दंपति रहता है और बड़ी मुश्किल से अपना गुजारा करता है। कई तरह के जुगाड़ लगाकर जैसे-तैसे रोजी-रोटी को तो जुगाड़ होता है लेकिन चिट्टे के जुगाड़ के लिए उन्हें कई तरह के हथकंडे अपनाने पड़ते हैं। बताते हैं कि शादी के बाद उनके घर में एक बेटी ने जन्म लिया था लेकिन बाद में उसकी मृत्यु हो गई थी। जैसा की सब जानते हैं कि चिट्टे के चंगुल में फंसे व्यक्ति को इससे बाहर निकालना काफी मुश्किल होता है। जब उनसे कोई पूछता है कि छोड़ क्यों नहीं देते तब उनका जबाव होता है क्या करें साहब छोडऩा तो चाहते हैं लेकिन छूटती नहीं यह लत।

आखिर क्या है यह चिट्टा
ड्रग्स में आजकल जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह है चिट्टा। आए दिन पढऩे को मिलता है कि चिट्टे के साथ इतने लोग गिर तार या इतना चिट्टा बरामद किया गया। पंजाबी और उसकी उपभाषाओं या बोलियों में चिट्टा का मतलब होता है- सफेद। पहले पंजाब में सिर्फ हेरोइन को चिट्टा कहा जाता था क्योंकि इसका रंग सफेद होता था। मगर अब चिट्टे की परिभाषा, व्यापक हो गई है। हेरोइन तो अफीम से बनने वाला ड्रग है लेकिन अब और भी कई सिंथेटिक ड्रग्स इस्तेमाल होने लगे हैं जो देखने में सफेद ही होते हैं। इस कारण उन्हें भी चिट्टा ही कहा जाने लगा है।

वास्तव में क्या है हेरोइन
हेरोइन ऐसा नशीला पदार्थ है जिसे लोग आनंद के लिए लेना शुरू करते हैं और फिर इसके गुलाम बनकर रह जाते हैं। आपने मॉरफ़ीन का नाम सुना है? जी हां, वही मॉरफीन जो दवा है और गंभीर दर्द से बचाने के लिए मरीजों को दी जाती है। मॉरफीन और हेरोइन, दोनों ही अफीम से तैयार होते हैं। फर्क इतना है कि मॉरफीन की तुलना में हेरोइन करीब तीन गुना ज्यादा स्ट्रॉन्ग होता है। मॉरफीन एक दवा है और मेडिकल फील्ड में ही इसे इस्तेमाल किया जाता है। मॉरफीन तैयार करने में सावधानी बरती जाती है, हर चीज का ध्यान रखा जाता है क्योंकि इसका इस्तेमाल औषधि के रूप में होता है। जबकि हेरोइन को अवैध ढंग से बिना ध्यान दिए तैयार कर दिया जाता है क्योंकि इसे नशे के लिए इस्तेमाल करना होता है।

क्या कहते हैं मनोचिकित्सक
डा. राधा कृष्णन मेडिकल कालेज हमीपुर में तैनात मनोचिकित्सक डा. कमल प्रकाश के अनुसार नशे के एडिक्टेड लोगों का समय पर उपचार किया जाए तो वे स्वस्थ्य हो सकते हैं। ऐसे लोगों को चाहिए कि वे स्पेशलिस्ट डाक्टर से अपना उपचार करवाएं। किसी भी तरह का नशा हो इसके लिए मेडिसिन का कोर्स करवाया जाता है। नशे के लक्षणों के हिसाब से किसी को ओपीडी में ही दवाई का कोर्स कुछ समय तक चलाकर ठीक किया जा सकता है जबकि कइयों को एडमिट भी करना पड़ता है उसके लिए थोड़ा वक्त लगता है। ऐसे रोगियों की बकायदा काउंसिलिंग भी की जाती है।

Khabar Logy
Author: Khabar Logy

Himachal Pradesh

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