सुजानपुर की सियासी रणभूमि में ‘राणा’ फिर आमने-सामने, इतिहास दोहराएगा या नया अध्याय लिखेगा सुजानपुर

सुजानपुर (हमीरपुर)। सुजानपुर यानि सुजान अर्थात बुद्धिमान या विद्वान लोगों का शहर। इतिहासकारों की मानें तो 1761 ई. में कटोच वंश के राजा घमंड चंद ने देशभर से हर क्षेत्र में निपुण लोगों को यहां लाकर इस सुजानपुर शहर को बसाया था। जैसा कि सब जानते हैं कि 100 साल से अधिक पुराने किले के अलावा मंदिर और यहां बहुत कुछ ऐसा है जिसका अपना रोचक इतिहास है।
खैर ये तो हो गई गुजरे जमाने की बातें लेकिन 74763 मतदाताओं वाले इसी शहर का एक इतिहास यह भी है कि आज से करीब सात साल पहले यहां के लोगों ने घोषित मुख्यमंत्री चेहरे को भी हरा दिया था।

 

इसकी चर्चा इस लंबी समयावधि में लोग अपने-अपने ढंग से करते रहे और आज भी कर रहे हैं। चुनावी बयार में यह चर्चा इसलिए एक बार लोगों की जुबां पर आई है क्योंकि जिला हमीरपुर से ताल्लुक रखने वाले प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री की भी प्रतिष्ठा एक बार फिर से दाव पर लगी है और इसकी कडिय़ां जिले के दो विधानसभा क्षेत्रों से जुड़ी हैं जिनमें सुजानियों का शहर भी शामिल है। इसी सुजानपुर का एक इतिहास यह भी है कि यहां की जनता पिछले तीन टर्म से एक ही नेता को जिताकर विधानसभा की दहलीज के अंदर भेजती आ रही चाहे उसने आजाद चुनाव लड़ा हो या फिर कांग्रेस की टिकट पर लड़ा हो। आज समीकरण ऐसे बने हैं कि वही नेता बतौर भाजपा  प्रत्याशी मैदान में है। खैर, राजनीति में सब संभव है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सुजानपुर की बुद्धिमान जनता इतिहास दोहराएगी या नया इतिहास बनाएगी पूरे प्रदेश की नजरें खासतौर पर इस विधानसभा क्षेत्र पर लगी हैं। उधर, कांग्रेस ने पिछले दिनों बीजेपी की ही राह पर चलते हुए यहां से आर्मी से रिटायर्ड कैप्टन रंजीत राणा को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है।

 

यह वही रंजीत राणा हैं जिन्होंने बीजेपी की टिकट पर सुजानुपर से 2022 को विधानसभा चुनाव लड़ा था। तब राजेंद्र राणा कांग्रेस के प्रत्याशी थे। उन चुनावों में कैप्टन रंजीत मात्र 399 मतों से पराजित हुए थे। अब एक बार राजेंद्र राणा और रंजीत राणा आमने-सामने हैं। केवल पार्टियां बदली हैं। रणभूमि वही सुजानुपर की है और योद्धा भी वही हैं। दोनों के पीछे जो सेना खड़ी है वो भी लगभग वही है। कुछ नए सैनिक जरूर उनके साथ खड़े हैं लेकिन अधिकतर चेहरे वही पुराने हैं। इन चुनावों के बाद एक बात तो तय है कि दोनों में से जो भी चुनाव हारेगा वो दोबारा चुनावी रणभूमि में नजर नहीं आएगा।

Khabar Logy
Author: Khabar Logy

Himachal Pradesh

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