हमीरपुर. भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने सोमवार 12 जुलाई को देशभर के उम्दा इंजीनियरिंग संस्थानों की राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) की सूची जारी की है। इस सूची में राष्ट्रीय प्रोद्यौगिकी संस्थान (एनआइटी) हमीरपुर ने एक बार फिर सबको निराश किया है। इस बार फिर से संस्थान 100-150 के बैंड में रहा है यानि संस्थान की आंतरिक व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है। जोकि संस्थान के लिए अच्छे संकेत नहीं है। साथ ही लगातार गिरती राष्ट्रीय स्तर के इस संस्थान की साख उन हजारों अभिभावकों की चिंता भी बढ़ा रही है जिनके बच्चे इस संस्थान में शिक्षित हो रहे हैं।
दरअसल एनआईटी की यह रैंकिंग उम्मीदों के अनुरूप बहुत अच्छी नहीं है। पिछले कुछ वर्षों से संस्थान की रैंकिंग लगातार गिर रही है। कुछ वर्ष पहले तो यह कहा जा रहा था कि संस्थान में रेगुलर डायरेक्टर नहीं है, रेगुलर रजिस्ट्रार नहीं है और फेकल्टी समेत दूसरे क्लेरिकल स्टाफ में पद खाली चल रहे हैं जिसके चलते व्यवस्थाएं स्थिर नहीं हो पा रही हैं। लेकिन अब तक डायरेक्टर भी दो साल से रेगुलर हैं, रजिस्ट्रार भी और पिछले साल फेकल्टी समेत अन्य क्लेरिकल स्टाफ के पदों को भरा गया है तो अब सवाल यही खड़ा हो रहा है कि आखिर संस्थान को बेहतर बनाने के लिए और क्या करना होगा। बताते चलें कि वर्ष 2016 में एनआईटी हमीरपुर का देशभर में 51वां रैंक था। यहां एडमिशन मिलने का छात्र इंतजार करते थे लेकिन पिछले कुछ वर्षों में संस्थान के कारनामों के कारण देशभर में इसकी छवि खराब हुई है। पूर्व में यहां बर्खास्त किए निदेशक प्रो. विनोद कुमार यादव के समय असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्तियों में गड़बड़ी हुई हुई थी। जिस पर शिक्षा मंत्रालय की ओर से लंबी जांच प्रक्रिया अमल में लाई गई थी। दो साल पहले संस्थान के भीतर देर रात को दो छात्र गुटों में ईंट, पत्थर और लोहे की रॉड से हमले का मामला सामने आया था। एक साल पहले संस्थान के अंदर नशे की ओवरडोज से छात्र की मौत होने और उसके बाद संस्थान के ही छात्रों नशे के धंधे में संलिप्तता सामने आने जैसे मामलों ने भी संस्थान की छवि को धूमिल किया है। बता दें कि एनआईटी हमीरपुर वर्ष 1986 में बतौर रीजनल इंजीनियरिंग कालेज शुरू हुआ था और वर्ष 2003 में इसे एनआईटी का दर्जा दिया गया था। संस्थान में साढ़े चार हजार के करीब छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
पांच वर्षों में संस्थान की रैंकिंग
इंजीनियर तैयार करने वाले एनआईटी हमीरपुर की पांच साल की रैंकिंग पर नजर डालें तो यह चौंकाने वाली है। वर्ष 2019 में एनआईटी हमीरपुर एनआईआरएफ की रैंकिंग में 60वें स्थान पर था। 2020 में यह सीधे 98वें स्थान पर पहुंचा। 2021 में रैंकिंग का ग्राफ 99वें पायदान पर आ गया। जबकि 2022 और 2023 में लगातार एनआईआरएफ रैंकिंग में एनआईटी 100 से 150 बैंड के बीच रह रहा है। कभी इसे 127 बताया जाता है तो कभी 128वें स्थान पर। लेकिन 100 से नीचे लुढक़ना संस्थान की लचर व्यवस्था को दर्शाता है।
बाद में स्टेबलिश हुए संस्थान आगे निकले
एनआईआरएफ की रैंकिंग में एनआईटी हमीरपुर का लुढक़ना इसलिए भी चिंता बढ़ा देता है कि जो संस्थान इसके साथ या बाद में स्टेबलिश हुए थे वे भी बेहतर स्थिति में चल रहे हैं। जैसे एनआईटी जालंधर 58वें स्थान पर एनआईटी श्रीनगर 79वें पायदान पर, एनआईटी कुरुक्षेत्रा 81वें स्थान पर, आईआईटी मंडी 31वें स्थान पर है। यही नहीं एनआईटी दिल्ली की रैंकिंग 45वें स्थान पर आई है जोकि 2010 मेंं स्थापित हुआ है।
क्या कहता है संस्थान प्रबंधन
उधर, इस बारे में जब एनआईटी हमीरपुर के निदेशक प्रो. एचएम सूर्यवंशी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वे आउट ऑफ स्टेशन हैं जबकि रजिस्ट्रार के मोबाइल फोन पर संपर्क नहीं हो पाया। वहीं मीडिया अधिकारी राजेश कुमार ने पुष्टि करते हुए बताया कि संस्थान की रैंकिंग 100-150 के बैंड में रही है।
Author: Khabar Logy
Himachal Pradesh