चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद ISRO का सबसे बड़ा मिशन, दुनिया चूमेगी भारत के कदम

चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की नजर चंद्रमा के बाद अब सौरमंडल के सबसे गर्म और सबसे बड़े सदस्य सूर्य की सबसे चुनौतीपूर्ण सतह पर उतरने की है। अंतरिक्ष एजेंसी सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य-एल1 सौर अन्वेषण मिशन के प्रक्षेपण की तैयारी कर रही है। आदित्य-एल1 मिशन को इसरो पीएसएलवी रॉकेट द्वारा … Read more

आपदाग्रस्त परमार नगर का खेवनहार बना जय बाबा जलाधारी यूथ क्लब, डीसी भी थपथपा गए पीठ

 

आपदाग्रस्त परमारनगर से ग्राउंड रिपोर्ट… 

कहते हैं जो वक्त पर काम आए वही सच्चा साथी और जो वक्त पर खर्ची जा सके वही असली पूंजी। बरसात की आपदा ने इस बार प्रदेश का कोई कोना ऐसा नहीं छोड़ा जहां लोगों को तबाही का मंजर ना देखना पड़ा हो। मौसम की इस मार की चपेट में आए लोगों के लिए प्रशासन तो अपनी मौलिक ड्यूटी निभा ही रहा है लेकिन आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में लोगों के लिए कुछ ऐसे समाजसेवी और युवा क्लब सामने आए जिन्होंने अपनों और प्रशासन से पहले मौके पर पहुंचकर प्रभावितों का दर्द तो बांटा है साथ ही कहीं दर्जनों तो कहीं सैकड़ों की तादात में आपदा ग्रसित लोगों के लिए खाने-पीने और रहने का भी प्रबंध करवाया. इसी फेहरिस्त में एक नाम जय बाबा जलाधारी यूथ क्लब का भी जुड़ गया है. बड़ी बात यह है कि इस यूथ क्लब ने बरसात के कारण बंद रास्तों के बावजूद राहत सामग्री और खाने-पीने की वस्तुएं आपदा ग्रस्त लोगों तक पहुंचाई . किस्सा जिला कांगड़ा की धीरा तहसील के अंतर्गत आने वाली चौकी पंचायत के परमारनगर क्षेत्र का है। सोमवार 14 अगस्त को जब परमारनगर में एक के बाद एक घरों के गिरने का सिलसिला शुरू हुआ तो जय बाबा जलधारी यूथ क्लब के सदस्यों ने सूचना मिलते ही सबसे पहले अपने गांव के लोगों के घर में जाकर किसी से 1 किलो चावल, किसी से 1 किलो दाल आटा चीनी और गैस सिलेंडर इत्यादि सामान इकट्ठा करने का बीड़ा उठाया और शाम तक काफी मात्रा में खाद्य सामग्री को एकत्रित कर लिया . अब सबसे बड़ा चैलेंज जो यूथ क्लब के सदस्यों के सामने था वह इस राशन को प्रभावितों तक पहुंचना था क्योंकि लगभग तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित आपदाग्रस्त गांव तक पहुंचाने के लिए एकमात्र विकल्प पुल था लेकिन उसके आगे एक बड़ा लहासा गिरा हुआ था जहां से पैदल निकलना भी मुश्किल था और दूसरा विकल्प उफनती नदी नदी को पार करके जाने का था. नदी को पार करना आसान नहीं था। यूथ क्लब के सदस्यों ने क्लास 11 तक तक गाड़ी पहुंचा कर सामान को वहां से कंधों पर उठाकर सड़क के दूसरी और पहुंचाया और फिर दूसरे वाहन की व्यवस्था करके सारी खाद्य सामग्री प्रभावितों तक पहुंचाई यही नहीं कुछ सदस्य जेसीबी का प्रबंध करने में जुट गए और प्रशासन से पहले पहुंचकर रोड को भी अपने दम पर खुलवाए जाहिर है यह बड़ी बात थी क्योंकि यूथ क्लब के सदस्यों का यह मौलिक कर्तव्य तो नहीं था लेकिन इंसानियत का परिचय देने का एक अच्छा मौका था ।

यूथ क्लब के सदस्यों ने प्रभावित क्षेत्र में पहुंचकर सबसे पहले मौसम की सफाई लोगों के लिए खाने-पीने का प्रबंध करना शुरू किया और देखते ही देखते गांव के हर एक व्यक्ति के लिए खाने का प्रबंध कर दिया कुछ युवाओं ने खाना पकाना शुरू कर दिया तो कुछ टैंट आदि का इंतजाम करने में जुट गए ताकि प्रभावित लोगों को इस बारिश के मौसम में खुले आसमान के नीचे रात ना गुजारनी पढ़े। देखते ही देखते एक दिन, दूसरा दिन  , तीसरा दिन यूथ क्लब के सदस्य लगातार अपना घर बार छोड़कर प्रभावितों की सेवा में लगे रहे . हालांकि बाद में प्रशासन भी हरकत में आया और लगभग तीन-चार दिन बाद खाने पीने की वस्तुएं और टेंट इत्यादि यहां पहुंचने लगे यूथ क्लब के सदस्यों के जज्बे को देखकर प्रशासन ने भी इनकी मदद क्लब के सदस्यों ने भी कदम कदम पर हर जगह प्रभावितों की सेवा में डटे रहे फिर चाहे वह खाना बनाना हो या फिर टूटे हुए घरों से सामान बाहर निकलना हो शुक्रवार को जब डिप्टी कमिश्नर कांगड़ा प्रभावित क्षेत्र में पहुंचे तो यूथ क्लब के सदस्यों के काम को देख कर बेबी इस क्लब की पीठ थप थापा गए आज हर जगह पर जय बाबा जलधारी यूथ क्लब की लोक प्रशंसा कर रहे हैं.

कांगड़ा के तुषार व शिमला की शैफाली बने WFF बॉडी बिल्डिंग मिस्टर व मिस हिमाचल- 2023

स्पोर्ट्स डेस्क. शिमला वर्ल्ड फिटनेस फेडरेशन द्वारा NIT हमीरपुर के ऑडिटोरियम में आयोजित फैशन फिटनेस बॉडी बिल्डिंग मिस व मिस्टर हिमाचल -23 का सफल समापन हुआ। समापन समारोह के अवसर पर खेलों में प्रदेश के लिए राष्ट्रीय पदक विजेता रहे, प्रदेश भाजपा सचिव व युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र अत्री ने बतौर मुख्य … Read more

सरकारी अमले ने आपदा को बना लिया पिकनिक, गाड़ियों की मूवमेंट पर हजारों का खर्च, राहत के नाम पर पिक एंड चूज

 

खबरlogy की ग्राउंड रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों भारी बारिश के कारण आसमान से बरसी आफत ने कई लोगों के सिर से घर की छत छीन ली है तो कईयों के दर- ओ- दीवार दो फाड़ कर दिए हैं . जहां-जहां तबाही बरसी है वहां का आलम ऐसा है कि परिवार अपने आस-पड़ोस या फिर रिश्तेदारों के घरों में आसरा लिए हुए हैं . हालांकि अपने घर की छत क्या होती है यह किसी को समझाने या बताने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन हालात के मारे इन पीड़ित परिवारों के पास अभी फिलहाल कोई दूसरा चारा नहीं है. इस छोटी सी कहानी में हमने आपको यह बताने का प्रयास किया कि किस कदर मौसम की  लोगों को बेघर कर दिया है और आज वे दूसरों की चौखट निहारने को मजबूर है। यह कहानी का एक पहलू है।

अब आते हैं कहानी के दूसरे पहलू पर जोकि शुरू होता है बारिश से प्रभावित क्षेत्र में प्रशासनिक अमले की दस्तक का. जैसे ही खबर लगती है कि कहीं इस तरह की त्रासदी आई है तो शुरू होती है प्रशासनिक अमले की मूवमेंट। अभी ये मूवमेंट कैसी है यह किसका बड़ा ही दिलचस्प है एक पटवारी से लेकर प्रशासन के बड़े अधिकारी समय-समय पर प्रभावित क्षेत्र में दस्तक देते हैं और सहानुभूति के दो शब्द और एहतियात बरतने की बात कहकर आगे निकल जाते हैं. उससे भी दिलचस्प बात यह है कि जिस क्षेत्र में  इस तरह की आपदा सामने आती है वहां अधिकारियों का बड़ा ही , दिलचस्प स्टेटमेंट देखने और सुनने को मिलता है . नंबर 1 आप जल्द से जल्द अपना घर खाली कर दीजिए और सामान लेकर कहीं और शिफ्ट हो जाइए. नंबर दो अगर आप यह जगह नहीं छोड़ेंगे तो हमें आपको जबरन यहां से ले जाना पड़ेगा. बातें और भी हैं लेकिन मुझे लगता है यह 2 पॉइंट ही काफी है समझाने और बताने के लिए की प्रशासनिक कितनी जिम्मेदारी से अपना काम निभा रहा है. आदेश दे दिए जाते हैं की आप घर छोड़कर सामान लेकर कहीं और शिफ्ट हो जाएं लेकिन कोई यह नहीं बताता कि शिफ्ट कहां और कैसे होना है।   

सारी उम्र का एक परिवार ने जो सामान पाई पाई जोड़कर जमा किया है उसे एक साथ कहां रखेंगे इस बात की और किसी का ध्यान नहीं जाता . साहब की ओर से तो बस एक बात कही जाती है की हमने फलां  जगह पर बहुत सारे टेंट लगा दिए हैं आप वहां चले जाइए . फिर चाहे वह एरिया आपके घर से 2 किलोमीटर दूर है या 5 किलोमीटर इनको कोई फर्क नहीं पड़ता. अरे साहब कैसे चले जाएं. ग्रामीण लोगों ने घरों में मवेशी पाले होते हैं उन्हें छोड़कर कौन जाएगा. उसे वक्त किसी का ध्यान इस और नहीं जाता की जिस गाय या बैल के नाम पर यही लोग बड़े-बड़े भाषण मंचों से दिया करते हैं उसे अपने ही घर में लावारिस छोड़कर कैसे चले जाएं . दूसरा पहलू यह है कि जहां आप इन ग्रामीणों को ले जाने की बात कर रहे हैं वह कौन सा सेफ्टी पॉइंट है .  वह जगह भी तो आपदा प्रभावित  क्षेत्र से 100 या 500 मीटर की दूरी पर है तो क्या  यह डेंजर जोन नहीं है .  क्यों नहीं ऐसा किया जाता कि जो लोग प्रभावित हो रहे हैं उनके लिए टेंट की व्यवस्था उनके घर के आस-पास ही की जाए. उनके लिए वहीं खाने-पीने का प्रबंध किया जाए.. क्यों लोगों के घरों में बार-बार आकर आप रोज उनसे एक ही पूछ रहे हैं क्या हुआ कैसे हुआ जबकि पूरी कहानी आप भी जानते हैं.

ग्रामीण जिन्हें और भी काम होते हैं वह दिन भर लाचार होकर अपने टूटे घर के सामने बैठकर यही इंतजार करते रहते हैं कि शायद कोई तो आएगा जो राहत के नाम पर कुछ देकर जाएगा. लेकिन ऐसा वास्तव में हो नहीं रहा यूं कहे तो प्रशासनिक अमले के लिए यह एक पिकनिक सपोर्ट बन गया है . रोज टीए बिल भरे जा रहे हैं और ऊपर रिपोर्ट दी जा रही है कि हमने इतनी बार क्षेत्र का दौरा कर लिया. क्या दौरा करना ही सब कुछ है. अब पूछा जाए कि आपने प्रभावित क्षेत्र में तुरंत कितना राशन पहुंचाया कितने लोगों को रिलीफ दिया. रिलीफ से याद आया कि इसमें भी पिक एंड चूज का खेल चला हुआ है . जिनके हाथ में लाठी है आज भी वही भैंस का मालिक है. जब खुद आप कह रहे हैं कि आप डेंजर जोन में है आप अपना घर छोड़ दीजिए लेकिन राहत के नाम पर 10 में से सिर्फ पांच ही लोगों को आप राहत दे रहे हैं तो बताइए की यह किस तरह की राहत बरसाई जा रही है। अगर राहत बांटने का यही एक पैमाना है साहब तो यह लोग आपकी राहत के बिना ही रह लेंगे . क्योंकि आज भी ग्रामीण संस्कृति में एक दूसरे की मदद करने और बुरे वक्त में काम आने की परंपरा जिंदा है। जितना खर्च आपकी गाड़ियों पर और आपके TA बिल पर रोजाना हो रहा है उससे तो बेहतर है की उतना पैसा किसी जरूरतमंद को दे दिया जाए.

जिला कांगड़ा का परमारनगर इसका ताजा उदाहरण

यह जो कहानी हमने आपको ऊपर बताने का प्रयास किया है हो सकता है प्रदेश में एक या दो केस ऐसे हो जहां ऐसा ना हो रहा हो लेकिन अगर हम ताजा तरीन वाकया की बात करें तो जिला कांगड़ा का परमार नगर इसका जीता जागता और ताजा उदाहरण है . यहां सोमवार को एक के बाद एक करके एक दर्जन से अधिक मकान देखते ही देखते लोगों की आंखों के सामने मिट्टी होते गए . यही नहीं इसके आसपास के इलाकों में भी कईयों के घर बीचो-बीच दो फाड़ हो गए तो कहीं बड़े-बड़े डंगे ढह गए . लगभग चार दिन पहले हुई इस घटना के बाद प्रशासनिक अमले की एक के बाद एक धनधनाती गाड़ियों ने सड़कों पर चहल पहल तो बढ़ा दी है लेकिन लोगों के लिए यह राहत कम और आफत ज्यादा दिखती है .  दरअसल यहां भी राहत के नाम पर या तो उन लोगों को राहत का मरहम लगाया गया जिनके घर पूरी तरह   से डैमेज हो चुके हैं या फिर वही पिक एंड चूस की पॉलिसी. यही नहीं ग्रामीणों की माने तो अभी तक प्रशासन की ओर से खाने-पीने के नाम पर कुछ भी नहीं दिया गया है. केवल आसपास के युवा क्लब अपने दम पर प्रभावितों के खाने पीने का प्रबंध कर रहे हैं . प्रशासन ने अगर कुछ दिया है तो वह है चार टेंट वह भी उन्हीं को मिलेंगे जो उस क्षेत्र में जाकर रहेगा जहां प्रशासन चाहता है फिर चाहे किसी को 2 किलोमीटर दूर जाना हो 4 किलोमीटर दूर जाना हो कोई बुजुर्ग हो अपाहिज हो, वह अपने आने जाने की व्यवस्था खुद करे , यूं कहे तो यहां भ सवारी अपने समाज की खुद जिम्मेदार है.

तीज पर सावन आया बादल छाए…., महिलाओं ने झूमझूक कर मनाया तीज का त्यौहार

 

फीचर डेस्क , हमीरपुर 

श्रावण महीने के पावन वीरवार को महिलाओं ने हरियाली तीज का त्यौहार नाच गाकर मनाया। जिला हमीरपुर के सलासी के एक होटल में आयोजित  कार्यक्रम में शहर सहित दूर दराज क्षेत्रों की महिलाएं पहुंची। यहां पर इन्होंने डीजे की धुनों पर तीज त्यौहार की खुशी मनाई तथा एक दूसरे को बधाईयां भी दीं। डीजे की धुनों से गूंज रहे हॉल में डांस कर रही महिलाओं ने माहौल को खुशनुमना बना दिया। कई तरह के गानों पर महिलाओं ने नृत्य कर खूब इंजाय किया तथा यहां मौजूद अन्य महिलाओं की वाहवाही बटोरी।
कार्यक्रम सलासी के रॉयल होटल में आयोजित हुआ। कार्यक्रम का नाम आया सावन झूम के रहा। महिलाओं ने हरियाली तीज व सावन महीने का जश्न एक साथ मनाया। इस दौरान महिलाओं ने पहाड़ी नाटी, पंजाबी भांगड़ा, फिल्मी गानों के तरानों पर डांस कर समां बांध दिया। वहीं कई अन्य कार्यक्रम भी महिलाओं द्वारा आयोजित किए गए। पक्का भरो क्षेत्र की महिलाएं तथा उनकी सहेलियों ने मिलकर सावन महीने के इस गुरूवार को खास बना दिया। डीजे की धुनों पर महिलाओं ने एक साथ डांस कर जहां एकजुटता का संदेश दिया वहीं सावन महीने का अर्थ भी सार्थक कर दिखाया। कुछ महिलाओं ने डयूट डांस कर सभी का मनोरंजन करने के साथ ही वाहवाही बटोरी। रंग-बिरंगे परिधानों में पहुंची महिलाओं ने सावन महीने का महत्व समझाया।

 

ऐसा कहा जाता है  कि सुहागिन महिलाएं सावन महीने की हरियाली तीज में श्रृंगार व हाथों में मेहंदी लगाकर माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर उनसे अखंड सौभाग्य का आर्शीवाद मांगती हैं। यही नहीं सावन महीने में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने से वैवाहिक जीवन भी खुशहाल बना रहता है। यही कारण है कि सावन महीने में शिवालय भक्तों से भरे रहते हैं। सावन महीने में महिलाएं भगवान को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा अर्चना करती हैं। गुरुवार को सलासी में आयोजित कार्यक्रम भी सावन का ही हिस्सा रहा। महिलाओं ने बताया कि वे सभी मिलकर हर वर्ष सावन महीने में इस कार्यक्रम का आयोजन करती आ रही हैं। कोरोना की वजह से दो साल से कार्यक्रम आयोजित नहीं हो पाया था। दो साल बाद फिर सावन महीने में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ तथा सभी सखियों ने एकत्रित होकर इस कार्यक्रम को सफल बनाया। इस दौरान महिलाओं ने आपस में कई तरह के मनोरंजक खेल भी खेले। यहां पहुंची महिलाओं ने इस कार्यक्रम की जहां जमकर सराहना की वहीं सावन महीने की एक-दूसरे का बधाई एवं शुभकामनाएं भी दीं। इस अवसर पर महिला आर्या, प्रेम लता शर्मा, मीनाक्षी ठाकुर, निशा ठाकुर, कांता राणा, मीना शर्मा, शीला शर्मा, सरिता शर्मा, मीना भारती, अंजना, सुमन बाला शर्मा, आशा कुमारी, अनु ठाकुर, प्रवीण शर्मा, रीना शर्मा, पवना पुरी, रचना ठाकुर, निर्मला बन्याल, सिम्मी ठाकुर, शिवानी बन्याल, मीनू संदल, ऊषा शर्मा व अकांक्षा शर्मा उपस्थित रहीं।

सरकारी अधिकारियों को सिर्फ असाधारण मामलों में ही अदालतों में बुलाया जाए, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में विचार के लिए पेश एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) के मसौदे में केंद्र सरकार ने कहा है कि अदालतों में सरकारी अधिकारियों की व्यक्तिगत हाजिरी केवल असाधारण मामलों में ही मांगी जानी चाहिए। SOP में कहा गया है, “हालांकि, असाधारण मामलों में भी जहां सरकारी अधिकारी की व्यक्तिगत उपस्थिति अभी भी … Read more

बारिश के बाद जिला कांगड़ा में बने हालात का जायजा लेने के लिए हवाई निरीक्षण पर निकले मुख्यमंत्री

 

स्टेट ब्यूरो. शिमला

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू  ने बुधवार को कांगड़ा जिले में भारी बारिश के बाद बने हालात का हवाई निरीक्षण किया। बताते चलें कि रविवार रात को हुई मूसलाधार बारिश के कारण जिला कांगड़ा में जगह जगह बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है. कई लोगों के घर पूरी तरह से जमींदोज हो गए हैं तो कई घर गिरने के कगार पर हैं । , बेघर हो चुके लोगों को प्रशासन रात को ठहरने के लिए टेंट मुखिया करवा रहा है तो कई जगह पर स्कूलों के ब्रामदों में इन लोगों के रहने की व्यवस्था की गई है ।

मुख्यमंत्री ने बुधवार को सभी प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और उसके बाद सुखविंदर सिंह पठानकोट एयरफोर्स हवाई अड्डे पर उतरने के बाद वह कांगड़ा जिले के इंदौरा और फतेहपुर के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करने के लिए रवाना हुए. यहां पहुंच कर उन्होंने प्रभावितों का हाल जाना और प्रशासन को निर्देश दिए की लोगों को रहने और खाने-पीने की किसी भी तरह की दिक्कत नहीं रहनी चाहिए.

आंखों के सामने एक के बाद एक गिरते गए आशियाने, जिला कांगड़ा की चौकी पंचायत में बरसात का जलजला

 

चौकी पंचायत से लाइव रिपोर्ट... 

मौसम की मार सर्दियों में हो गर्मियों में हो या फिर बरसात में, मानव के लिए असहनीय होती है। क्योंकि कुदरत जब कहर बरपाती है तो बड़ी से बड़ी साइंस भी इसके आगे फेल हो जाती है।  बरसात में हर साल की तरह इस बार भी पहाड़ी राज्य हिमाचल पर अपना कहर बरपाया है। बारिश के इस मौसम ने हर किसी को किसी न किसी तरह का जख्म दिया है। लेकिन सबसे बड़ा जख्म उन लोगों को इस बरसात ने दिया है जिनके सिर से छत ही छिन गई है। मौसम की मार के मारे ऐसे लोगों की फेहरिस्त में अबके एक नाम जिला कांगड़ा कि धीरा तहसील के तहत पड़ती चौकी पंचायत का जुड़ गया है। इस पंचायत के परमारनगर सहित आस-पास के गांव में बरसात का जलजला देखने को मिला है।

इस जलजले के कारण गांव के करीब एक दर्जन घर लोगों के सामने देखते ही देखते मिट्टी के ढेर में बदलते गए. जो घर गिरने से बचे वह खंडहर बन गए हैं. यानी जो दीवारें खड़ी है वो गिरने को आतुर हैं . दिल को दहलाने वाली बात यह है कि लोगों को घर के अंदर से सामान तक बाहर निकालने का मौका नहीं मिला . केवल तन पर डाले दो कपड़े ही उनके पास शेष बचे हैं  .हालांकि ग्रामीणों में आज भी हमदर्दी और एक दूसरे के काम आने की संस्कृति अभी बाकी है. इस लिए जिनके घर सुरक्षित बचे थे उन्होंने इन परिवारों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था की और प्रभावितों ने पड़ोसियों और यहां स्थित प्राइमरी स्कूल के बरामदे में रात गुजारी। कल तक जिनके पास अपने घर थे वे आज अपने ही दर- ओ- दीवार के बिना दिल पर पत्थर रखकर अंदर अपना दर्द छुपाई अपनी दास्तान बताते हुए नजर आए। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो देखते ही देखते घरों में आई एक छोटी सी दरार ने  बड़ा रूप धारण कर लिया और घर रेत के  टीलों की तरह ध्वस्त होते गए।

इस बात का कोई भी सहज ही अंदाजा लगा सकता है कि उस गांव की आज तस्वीर कैसी होगी जहां 2 दिन पहले एक घर से सटा दूसरा घर था और बच्चों की किलकारियां और चाचा चाचा ताया- ताई दादा दादी  की आवाजों से आंगन गुलजार हुआ करते थे। खैर मंगलवार 15 अगस्त को प्रशासनिक अमला भी मौके  का जायजा लेने पहुंचा और नुकसान का आकलन किया. खैर सरकार और प्रशासन बेघर हुए लोगों के जख्मों पर कब किस तरह और कैसा मरहम लगाता है यह तो अभी देखना बाकी है लेकिन ग्रामीणों को 2023 की यह बरसात कभी नहीं भूल पाएगी.

ग्रामीण बोले, कभी नहीं देखा ऐसा मंजर
ग्रामीणों की माने तो उन्होंने अपने जीवन में कभी ऐसा भयानक मंजर नहीं देखा. बरसातें इससे पहले भी हुई लेकिन छोटे-मोटे नुकसान के अलावा कभी ऐसा देखने को नहीं मिला . ग्रामीणों के अनुसार एक दरार जो करीब करीब तीन से चार किलोमीटर की दूरी को तय करती हुई आई  उसका आकार लगातार बढ़ता गया इसके बाद एक के बाद एक घर गिरता गया.

सुजानपुर में व्यास नदी पर बने पुल के ऊपर से बह रहा पानी, वाहनों को पुल के ऊपर से ना ले जाने की हिदायत

 

जिला ब्यूरो . कांगड़ा

जिला कांगड़ा और हमीरपुर की सीमा को जोड़ने वाला पुल जोकि सुजानपुर में व्यास नदी पर बना है वह खतरे की जद में आ गया है। दरअसल सुजानपुर की पहाड़ियों से नीचे सड़क की ओर बह रहे करीब आधा दर्जन झरनों के साथ आया मलबा आसपास जमा होने से सारा पानी पुल के ऊपर से आ गया है और पुल के एक तरफ बने डंगे से नीचे की ओर जा रहा है जहां बहुत बड़ा सुराग हो गया है । सोमवार सुबह पल पर अधिक पानी आ जाने से यहां वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गई है। प्रशासन की ओर से लोगों से अपील की जा रही है कि जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती स्कूल से ना गुजरे. ऐसा माना जा रहा है कि यदि बारिश का क्रम यूं ही जारी रहा तो पुल को ज्यादा नुकसान हो सकता है। यदि ऐसा होता है तो सुजानपुर की ओर से कांगड़ा और हमीरपुर का संपर्क आपस में कट सकता है.

सोमवार 14 अगस्त को बंद रहेंगे प्रदेशभर के सभी शिक्षण संस्थान, भारी बारिश को देखते हुए प्रदेश सरकार ने जारी किए आदेश

All HP school close on 14 august

स्टेट ब्यूरो .शिमला

प्रदेश भर में पिछले कई घंटों से लगातार हो रही अत्यधिक बारिश के कारण सभी जगह भारी नुकसान हुआ है । बारिश के कारण नदी नाले पूरी तरह से उफान पर है । ऐसे में स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की सेफ्टी को देखते हुए हिमाचल सरकार ने सोमवार 14 अगस्त पूरे प्रदेश भर में सभी शिक्षण संस्थानों को बंद रखने के आदेश जारी किए है। शिक्षा विभाग के सचिव अभिषेक जैन की ओर से जारी आदेशों के अनुसार 14 अगस्त को प्रदेश भर में सभी निधि और प्राइवेट स्कूल व कॉलेज बंद रहेंगे। उधर जैसे ही रविवार शाम को यह आर्डर प्रदेश भर के स्कूलों के मुखिया तक पहुंचे उन्होंने तुरंत व्हाट्सएप के माध्यम से यह जानकारी बच्चों के अभिभावकों तक पहुंचा दी है. रविवार को पूरा दिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी सभी जिलाधीशों से उनके जिलों का फीडबैक दूरभाष पर लेते रहे  इसके बाद सरकार ने 14 अगस्त को स्कूल बंद रखने के आदेश जारी किए.

देर रात तक मुख्यमंत्री ग्राउंड जीरो से लेते रहे फीडबैक

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू  रविवार देर रात तक सचिवालय में डटे रहे। उन्होंने भारी बारिश से हुए नुकसान का ग्राउंड जीरो से फीडबैक लिया। उन्होंने कहा कि बारिश की वजह से प्रदेश में काफी नुकसान हुआ है। ग्राउंड जीरो से फीडबैक लेकर प्रभावितों तक राहत पहुंचाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। पूरी सरकार प्रभावितों को राहत पहुंचाने के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है।

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