…जब रामायण के सेट पर साक्षात पहुंच गए थे काकभूशुंडी

*रामानंद सागर जी जब रामायण बना रहे थे तब एक अजीबोगरीब घटना घटी थी ..!* कहते है कि किसी काम को दिल से करो तो…*भगवान भी साथ देते हैं* और चमत्कार तो सनातन धर्म में ही होते हैं *रामायण शूट में बालक राम के साथ कौआ (काकभूशुंडी) को दिखाना था*। चिन्ता ये थीं की ऐसा कौआ कहां मिलेगा जो कुछ देर हमारे हिसाब से खेले, कूदे और शिशु राम के हाथ से खाए? *कौआ पाला नहीं जाता है और कहीं से ले भीं आए तो छोड़ते ही उड़ जायगा। लीला हुईं प्रभु श्री राम जी की*।

अचानक एक कौआ पेड़ पर आ बैठा और कांव-कांव करने लगा, सब चकित हो गए। रामानंद जी पेड़ के पास गए और हाथ जोड़कर प्रार्थना की हे “काकभूशुंडी” महाराज आखिर आप आ गए। आपसे विनती है कि ये बच्चा राम बना है, आप कुछ देर इसके पास बैठ जाइए। कौआ तुरन्त बालक राम के पास आ बैठा, रामानंद जी के आंख में आंसू थे। *कैमरा चालू किया गया। बालक राम कौआ के साथ खूब खेले, मस्ती किए लेकिन कौआ नहीं उड़ा, 10 मिनट की शूटिंग पूरी होने के बाद कौआ उड़ जाता हैं*। रामायण सीरियल बहुत दिल से और इतना बेहतरीन ईश्वर की कृपा से बना है जो हमेशा हम लोगो के दिल दिमाग में बसा रहेगा।

कौन थे काकभुशुण्डि….. 

गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में लिखा है कि काकभुशुण्डि परमज्ञानी रामभक्त थे। पूर्व के एक कल्प में कलियुग का समय चल रहा था। उसी समय काकभुशुण्डि जी का प्रथम जन्म अयोध्या पुरी में एक शूद्र के घर में हुआ। उस जन्म में वे भगवान शिव के भक्त थे

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